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आज मनाया जाएगा दीपावली का पावन त्योहार

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अभी जान लें पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

दिवाली का त्योहार आज 31 अक्टूबर 2024 को धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन धार्मिक उत्सव तो होता ही है साथ ही सामाजिक मेलजोल के लिए भी इस त्योहार को बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से मुलाकात भी करते हैं और उन्हें मिठाईयां भी बांटते हैं। साथ ही लक्ष्मी माता, गणेश भगवान और कुबेर देव की पूजा का भी इस दिन विधान है। माना जाता है कि, इन देवी-देवताओं की पूजा आराधना करने से जीवन के सभी दुख दर्द दूर हो जाते हैं। आइए ऐसे में जान लेते हैं कि, दिवाली के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त कब से कब तक रहेगा और इस दिन किन मंत्रों का जप करने से आपको लाभ हो सकता है।

दिवाली का महत्व

दिवाली का त्योहार मनाने के पीछे कई कारण माने जाते हैं। महाकाव्य रामायण के अनुसार, इसी दिन भगवान राम रावण पर विजय प्राप्त करके अयोध्या लौटे थे इसलिए अयोध्या वासियों ने इस दिन दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। वहीं कुछ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दिवाली को मां लक्ष्मी के स्वागत और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी भक्तों के घरों में प्रवेश करती हैं और उन्हें सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। इस दिन अमावस्या तिथि होती है इसलिए दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन के साथ ही गणेश जी और कुबेर जी की पूजा का भी बड़ा महत्व है। वहीं यह भी माना जाता है कि, दिवाली अमावस्या की रात को मनाई जाती है इसलिए नकारात्मकता को दूर करने के लिए इस दिन दीपक जलाना अति शुभ होता है। आइए अब जान लेते हैं कि साल 2024 में 31 अक्टूबर को मनाई जा रही दिवाली पर पूजा का शुभ मुहूर्त कब से कब तक रहेगा।

दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त 

लक्ष्मी पूजन मुहूर्त: पंचांग के अनुसार 31 अक्टूबर शाम 5 बजकर 36 मिनट से शाम 6 बजकर 16 मिनट तक

प्रदोष काल: शाम 05 बजकर 36 मिनट से रात्रि लगभग 8 बजकर 30 मिनट तक

वृषभ काल: शाम 6 बजकर 32 मिनट से रात्रि 8 बजकर 32 मिनट तक

 

 

सही मुहूर्त में लक्ष्मी पूजन करने से आपको शुभ फलों की प्राप्ति होती है। माता लक्ष्मी आपके सभी कष्टों को हर लेती हैं।

लक्ष्मी-गणेश पूजन मंत्र

लक्ष्मी जी के मंत्र:

ॐ महालक्ष्म्यै नमः

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद महालक्ष्म्यै नमः

गणेश जी के मंत्र:

ॐ गं गणपतये नमः

वक्रतुंड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा।

कुबेर जी के मंत्र:

ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्य समृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा।

ॐ श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नमः।

 

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