छत्तीसगढ़

“अरपा नदी: स्रोत सूखा, किनारों पर कब्जे, सफाई योजनाओं का अभाव, और 100 करोड़ का रिवाइवल अधूरा”

अरपा नदी पुनर्जीवन: स्रोत खत्म, किनारों पर कब्जा और सफाई योजनाओं का अभाव

हाईकोर्ट के आदेश पर बनी अरपा रिवाइवल कमेटी

बिलासपुर हाईकोर्ट के आदेश पर वर्ष 2020 में अरपा उत्थान एवं तट संवर्धन के लिए 15 सदस्यीय अरपा रिवाइवल कमेटी का गठन किया गया। कमेटी ने कई बैठकें कीं और अलग-अलग रिपोर्ट और योजनाएं हाईकोर्ट में प्रस्तुत कीं। अब तक 100 करोड़ रुपये से अधिक खर्च हो चुके हैं। इसके बावजूद, नदी की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। अरपा के जल स्रोत सूख गए हैं, किनारों पर अतिक्रमण हो रहा है, और गंदगी की सफाई के लिए कोई ठोस योजना नहीं है।

अरपा की स्थिति: प्रदूषण, कब्जा और सरकारी उदासीनता

भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, अमरकंटक से बिल्हा के मटियारी तक 164 किमी लंबे अरपा के सफर में नदी सबसे अधिक प्रदूषित बिलासपुर जिले में है। यहां रेत खनन, पेड़ों की कटाई और किनारों पर कब्जा लगातार जारी हैं। बिलासपुर शहर का 80% सीवरेज वॉटर 72 नालों के माध्यम से नदी में गिराया जा रहा है। कचरा डंपिंग और गंदगी का ढेर नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को पूरी तरह नष्ट कर रहा है।

योजनाएं अधूरी, खर्च बढ़ता गया

अरपा उत्थान एवं तट संवर्धन योजना की शुरुआती लागत 93.70 करोड़ रुपये थी, जिसे बाद में संशोधित कर 99.93 करोड़ रुपये कर दिया गया। अब इस परियोजना को पूरा करने के लिए 50 करोड़ रुपये और चाहिए। योजना 18 माह यानी अक्टूबर 2022 तक पूरी होनी थी, लेकिन अब तक अधूरी है।

समस्याएं और समाधान

1. जल स्रोत खत्म होना

समस्या: नदी में मिलने वाले 12 प्रमुख नालों का जल स्रोत सूख गया है। धान की दो फसलें लेने और नालों के बहाव क्षेत्र में पेड़ों की कटाई ने स्थिति को बदतर बना दिया है।

समाधान: अवैध पेड़ कटाई पर रोक लगाई जाए। वन विभाग पौधरोपण करे और नालों को पुनर्जीवित करने के लिए कदम उठाए।

2. अतिक्रमण और अवैध गतिविधियां

समस्या: जंगलों में अतिक्रमण और अवैध रेत खनन, ईंट भट्टों की गतिविधियां नदी को नुकसान पहुंचा रही हैं।

समाधान: अवैध चेक डैम हटाए जाएं, रेत खनन पर रोक लगाई जाए और नदी के किनारों को ग्रीन बेल्ट घोषित किया जाए।

3. सीवरेज वॉटर और कचरा डंपिंग

समस्या: शहर का सीवरेज वॉटर और कचरा सीधे नदी में गिराया जा रहा है।

समाधान: सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) बनाकर इसे रोका जाए। नदी किनारे के इलाकों को ग्रीन बेल्ट घोषित किया जाए और आम जनता को जागरूक किया जाए।

अरपा उद्गम स्थल का विवाद

पेंड्रा क्षेत्र में अरपा के उद्गम स्थल को लेकर विवाद बढ़ गया है। यहां खेती कर रहे किसानों का कहना है कि यह उनकी निजी जमीन है और इसे जबरन उद्गम स्थल घोषित किया जा रहा है। किसानों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर इस मुद्दे की जांच की मांग की थी।

विशेषज्ञ की राय: अरपा पुनर्जीवन के लिए समग्र प्रयास आवश्यक

इकोलॉजिस्ट और अरपा रिवाइवल कमेटी के सदस्य डॉ. नीरज तिवारी के अनुसार, नदी के जल स्रोत, किनारों और पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्बहाली के लिए ठोस प्रयास जरूरी हैं।

भविष्य की दिशा

हाईकोर्ट के निर्देश पर अब नदी के भौगोलिक और भू-वैज्ञानिक सर्वे, जलग्रहण क्षेत्र का चिन्हांकन और खनिज गतिविधियों पर रोक जैसे उपाय किए जाने हैं। हालांकि, इन योजनाओं के क्रियान्वयन में प्रशासन की गंभीरता और जनता की सहभागिता बेहद अहम होगी।

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