छत्तीसगढ़

एक नज़र इधर भी देखिए सीएम साहब ! शिक्षको ने सिस्टम को दिखाया आइना, फावड़ा, गैती लेकर उतरे सड़क पर और शिक्षक करने लगे जर्ज़र सड़क की मरम्मत

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अंबिकापुर/सूरजपुर/बलरामपुर। बलरामपुर और सूरजपुर जिले को जोड़ने वाले खडगवा कला और खोखनिया पंचायत के बीच जर्जर सड़क की मरम्मत नहीं होने के कारण शिक्षकों ने जिम्मेदारों को आईना दिखाने की कोशिश की है। शिक्षकों ने खुद ही इस जर्ज़र सड़क का मरम्मत करना शुरू कर दिया। शिक्षक फावड़ा लेकर सड़क पर उतर गए और उन्होंने जर्जर सड़क के गड्ढे भरना शुरू कर दिया। इस तस्वीर को देखकर हर कोई हैरान था।

अब शिक्षकों के द्वारा सड़क का मरम्मत करने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, शिक्षकों का कहना था कि उन्हें हर रोज इसी सड़क से होकर बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल जाना पड़ रहा है और बरसात होने पर गड्ढे भर जाते हैं जिसके कारण उनकी गाड़ी इस सड़क पर नहीं चल पाती है इसके कारण उन्हें खुद ही इस सड़क का मरम्मत करना पड़ रहा है।

अंबिकापुर से कई सरकारी कर्मचारी और शिक्षक अंबिकापुर प्रतापपुर मुख्य मार्ग होते हुए ग्राम पंचायत खडगवा पहुंचते हैं। यहां से बलरामपुर जिले में आने वाले ग्राम पंचायत खोखनिया होते हुए अलग-अलग गांव में ड्यूटी करने के लिए जाते हैं, लेकिन बिल द्वारा गुफा के पास एक किलोमीटर की सड़क इतनी अधिक खराब है कि यहां चलना मुश्किल हो जाता है।

कई सालों से ऐसी ही तस्वीर है, लेकिन इसके बावजूद न तो प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत इस एक किलोमीटर जर्जर सड़क का निर्माण किया जा रहा है और न ही वन विभाग के अधिकारियों के द्वारा कोई प्लान बनाकर यहां सड़क ठीक किया जा रहा है. यही वजह है कि हर रोज आने-जाने में परेशान होने वाले शिक्षकों ने ही इस सड़क को ठीक करने का बीड़ा उठाया और वे सीधे यहां फावड़ा और गैती लेकर पहुंचे, इसके बाद सड़क का मरम्मत करना शुरू कर दिया ताकि गाड़ी आने-जाने में परेशानी न हो।

स्थानीय लोगों ने मांग की है कि बलरामपुर और सूरजपुर जिले के प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अधिकारियों ने अपने-अपने जिले की सीमा तक पक्की सड़क का निर्माण कर दिया है लेकिन बीच का एक किलोमीटर का हिस्सा छूट गया है ऐसे में दोनों जिले के अधिकारियों को सामंजस्य बनाकर इस सड़क का भी निर्माण पूरा करने की जरूरत है ताकि इस तरीके से शिक्षकों को खुद सड़क पर उतरकर स्कूल पहुंचने लायक सड़क को बनाने की जरूरत न पड़े।

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