सेवा भूमि के अवैध खरीद बिक्री के बाद कोटवारी जमीन पर लाखों करोड़ों के निर्माण पर मौन रहा प्रशासन
रायगढ़ बीते तीन महीने पहले कोटवारी जमीन के मामले में राज्य सरकार हरकत में आई थीं। इस संबंध में राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के विशेष सचिव रमेश कुमार शर्मा ने प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों को आदेश दिया था कि वे सेवा भूमि के विषय में शीघ्रता से जरूरी कार्रवाई करें। इन्हे आदेश के एक महीने के अंदर जरूरी कार्यवाही करने को कहा गया था ।
जिसमें विधि विरुद्ध ढंग से किए गए कोटवारी भूमि के अंतरण में जमीन को सेवा भूमि या शासकीय भूमि दर्ज करते हुए अहस्तांतरणीय लिखा जाने का निर्देश जारी हुआ था। परंतु कार्यवाही के अभाव में जिले भर में कोटवारी जमीनों की अवैध खरीद बिक्री तो बढ़ी ही,बल्कि कोटवारी जमीनों पर बड़े पैमाने में गैर कानूनी ढंग से व्यवसायिक और आवासीय निर्माण भी किया गए।
ऐसा करने वाले कुछ लोगों से जब मिडिया कर्मियों ने बात की और उनसे पूछा की राज्य शासन के स्पष्ट निर्देश के बाद भी आप कोटवारी जमीन पर निर्माण करने से डर नहीं रहे है? तो उनका कहना था कि हमारे लिए सरकार ऊपर वाले थोड़ी हैं निर्माण के पूर्व हलके में पदस्थ राजश्व कर्मी को कुछ रुपयों का भेंट दे दीजिए साथ ही नगर पंचायत या पालिका के कुछ लोगों की जेब गर्म कर दीजिए और बेफिक्र होकर सस्ती मिलने वाली कोटवारी जमीन पर निर्माण कर लीजिए। यहां सब सेट हो जाता है।
इधर उचित कार्यवाही के अभाव में सेवा भूमि को बेचने वाले कोटवारों और खरीदने वाले कारोबारियों पर शासन का किसी तरह का कोई डर भय नही दिख रहा है। जमीन को राजस्व अभिलेखों में अहस्तांतरणीय लिखने का आदेश भी जिले में अब तक अपूर्ण दिख रहा है। जिला मुख्यालय रायगढ़ से लेकर निकटतम तहसील मुख्यालय पुसौर में कोटवारी भूमि की अवैध खरीद बिक्री के अलावा बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण भी या तो किया जा चुका है या जारी है।
बात की जाए पुसौर तहसील मुख्यालय की तो बताया जाता है कि मैडम को स्थानीय कोटवारी भूमि की वस्तु स्थिति को जानकारी ही नही है। ऐसे में बोरोडीपा से लेकर सोढ़ापाथ चौक तक कई एकड़ कोटवारी भूमि की अवैध खरीद बिक्री के साथ लाखों करोड़ों रुपयों के व्यवसायिक निर्माण भी हो चुके है। लेकिन इनके विरुद्ध तहसील पुसौर या नगर पंचायत पुसौर से किसी प्रकार की कार्यवाही को अपेक्षा करना कोरी बेमानी होगी।।
यह अलग बात है कि इन जमीनों पर निर्माण भी हो चुके हैं।कोटवारी जमीनों की खरीद-फरोख्त कोई नया विषय नहीं है। कई भूमाफियाओं ने अवैध तरीके से कोटवारी जमीनों को खरीदा और इस पर आवासीय के अलावा व्यवसायिक निर्माण भी किए। कोटवारों ने जीवन-यापन के लिए मिली सेवा भूमि को विधि विरुद्ध विक्रय किया है।