साधु संग हरि संकीर्तन और भागवत श्रवण मथुरावास के समान है-सत्यकृषण दास
राधा गोविंद मंदिर में चार दिवसीय जन्माष्टमी महोउत्सव शुरु
पश्चिम बंगाल के पदावली कीर्तन मंडलियों के द्वारा किया गया नगर कीर्तन
चक्रधरपुर। श्री श्री राधा गोबिंद मंदिर में चार दिवसीय श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोउत्सव सोमवार से शुरु हो गया है। सोमवार को सुबह भगवान की आरती, मंदिर परिक्रमा तुलसी आरती परिक्रमा हरि संकीर्तन पदावली कीर्तन के साथ भोग आरती का कार्यक्रम आयोजित किया गया। शाम को संध्या आरती, तुलसी आरती मंदिर परिक्रमा के साथ साथ भागवत कथा वाचन हरि संकीर्तन भजन कार्यक्रम आयोजित किया गया।
इस अवसर पर पश्चिम बंगाल के विभिन्न अंचलों से आए चार संकीर्तन मंडलियों के द्वारा टीम पदावली कीर्तन प्रस्तूत किया गया। भागवत कथा वाचन में जमशेदपुर गौड़ीय मठ के प्रभु श्री सत्य कृष्ण दास जी के द्वारा नगर संकीर्तन के अधिवास तिथि पर विशेष चर्चा किया गया। भक्त संग नाम संकीर्तन, भागवत श्रवण करने की महिमा, साधू संग नाम संकीर्तन भागवत श्रवण मथुरा वास के समान होता है। श्रुती श्रद्धा ए सेवन सकल श्रेष्ठ साधन ए पांच अंग कृष्ण भक्ति जन्माए ए पांचेर अल्प संग।
उन्होंने कहा कि इसका तात्पर्य यह है कि नाम संकीर्तन साधु संग भागवत श्रवण करना श्री मथुराधाम में वास करना और श्री मूर्ति का श्रद्धा से सेवा करने के समान है। उन्होंने कहा कि अगर कोई इन पांच संग थोड़ा (किंचित) मात्र भी करता है तो उनके हृदय में कृष्ण भक्ति जागृत हो जाता है। बात श्री कृष्ण दास कविराज गोस्वामी जो श्री चैतन्य चरितामृत के रचयिता हैं उन्होंने कहा है।
महाप्रभु ने काली बद्ध जीव के उद्धार हेतु कलिकाल में नाम संकीर्तन को विशेष प्रभावशाली कृपा प्रदान किए हैं। इस लिए कलियुग में भगवान का नाम जाप ही सर्वश्रेष्ठ है। शाम को मंदिर में आयोजित शयन आरती में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। इस अवसर मंदिर क मेटी के प्रभु आदिकांत सारंगी, दमयंती माता, अनुज प्रधान, अभिशेख खालको, रवि महंती, अनुप दास, हेमंत शर्मा इत्यादि मौजूद थे।