Land Acquisition Dispute : अधिग्रहित भूमि के बाजार मूल्य को लेकर किसानों में भारी आक्रोश

Land Acquisition Dispute : कोयला उत्खनन क्षेत्र में बाजार मूल्य को लेकर गहराया विवाद |
तहसील धरमजयगढ़ के विभिन्न गांवों में Land Acquisition Dispute गहराता जा रहा है। क्षेत्र को कोयला भंडारण योग्य घोषित किए जाने के बाद यहां SECL सहित कई खदानें संचालित होने लगी हैं। इसके साथ ही नए खदान क्षेत्रों के विस्तार की प्रक्रिया भी जारी है, जिसके लिए प्रभावित गांवों की कृषि भूमि अधिग्रहित की जा रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि विभिन्न गांवों में भूमि का बाजार मूल्य अलग-अलग निर्धारित किया गया है, जिससे Dharmjaygarh Land Issue गंभीर आक्रोश का कारण बन गया है।
Land Acquisition Dispute : किसानों ने बाजार मूल्य निर्धारण में विसंगति पर जताई आपत्ति |
ग्रामीणों ने कहा कि भूमि अधिग्रहण पुनर्वास व पुनर्स्थापन अधिनियम 2013 की धारा 26 के अनुसार बाजार मूल्य निर्धारित होना चाहिए। यह धारा कलेक्टर को यह अधिकार देती है कि वह स्थानीय बिक्री-दर, निकटवर्ती क्षेत्रों के औसत विक्रय मूल्य तथा भारतीय स्टांप अधिनियम के अंतर्गत रजिस्ट्रीकृत दस्तावेजों के आधार पर मूल्य निर्धारण करे। किसानों का कहना है कि इन नियमों के बावजूद सही Collector Market Value निर्धारित नहीं किया गया।
Land Acquisition Dispute : अधिनियम की धारा 24 और 26 के पालन पर ग्रामीणों की बड़ी मांग |
ग्रामीणों ने बताया कि कई मामलों में भूमि अर्जन अधिनियम 1894 की धारा 11 के अंतर्गत प्रक्रियाएँ अधूरी हैं। जहां धारा 11 के अधीन पुरस्कार जारी नहीं किया गया, वहां मामले स्वतः अप्रभावी हो जाते हैं और अधिग्रहण प्रक्रिया नए सिरे से प्रारंभ की जानी चाहिए।
धारा 26 के अनुसार औसत विक्रय मूल्य पिछले तीन वर्षों की पंजीकृत बिक्री को ध्यान में रखकर तय किया जाना चाहिए। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि यह प्रक्रिया धरमजयगढ़ क्षेत्र में पारदर्शी रूप से लागू नहीं की गई।
Land Acquisition Dispute : राज्य सरकार की नीति में न्यूनतम प्रतिफल का भी हवाला |
ग्रामीणों ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार की 2016 भूमि क्रय नीति में असिचित भूमि के लिए 6 लाख, एक फसली के लिए 8 लाख तथा सिंचित (दो फसली) भूमि के लिए 10 लाख रुपये का न्यूनतम प्रतिफल तय है। इसके अतिरिक्त ग्रामीण क्षेत्र में भूमि के बाजार मूल्य का चार गुना तथा नगर क्षेत्र में दो गुना भुगतान किया जाना चाहिए। ग्रामीणों का आरोप है कि इन प्रावधानों को पूरी तरह नजरअंदाज किया जा रहा है।
Land Acquisition Dispute : SECL दुर्गापुर कोल ब्लॉक की धारा 11(1) में भी देरी, किसानों में असहमति |
जानकारी के अनुसार SECL Durgapur Coal Block की धारा 11(1) फरवरी 2016 में प्रकाशित हुई थी। पांच वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी प्रभावित किसानों को प्रतिफल प्रदान नहीं किया गया। ग्रामीणों ने कलेक्टर से मांग की है कि या तो परियोजना निरस्त की जाए अथवा वर्तमान बाजार मूल्य के आधार पर नई दरें तय की जाएं।
साथ ही किसानों ने यह भी कहा कि यदि उचित प्रतिफल मिलेगा तो वे भूमि देने व खदान संचालन में सहयोग के लिए तैयार हैं।





