रायगढ़

घरघोड़ा पुलिस ने किया श्रीराम फाइनेंस में करोड़ों की फर्जी ऋण घोटाला का खुलासा— धोखाधड़ी में शामिल कंपनी का पूर्व मैनेजर सहित दो आरोपी गिरफ्तार

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रायगढ़, 9 नवंबर । वित्तीय फर्जीवाड़े के एक बड़े मामले में घरघोड़ा पुलिस ने लाखों के हेराफेरी का पर्दाफाश करते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। मामला श्रीराम फाइनेंस कॉर्पोरेशन प्रा.लि. रायपुर से जुड़े करोड़ों के व्यापार ऋण घोटाले का है, जिसमें कंपनी के पूर्व कर्मचारियों और कुछ दलालों द्वारा मिलकर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लगभग 1 करोड़ 30 लाख 50 हजार रुपये की राशि का गबन किया गया था।

प्रार्थी राकेश तिवारी पिता स्व. मदनमोहन तिवारी उम्र 35 वर्ष निवासी बांसटाल तिल्दा, रायपुर, जो श्रीराम फाइनेंस कॉर्पोरेशन प्रा.लि. के लीगल डिपार्टमेंट में मैनेजर हैं, ने कल थाना घरघोड़ा में रिपोर्ट दर्ज कराई कि कंपनी की घरघोड़ा शाखा (रायगढ़ रोड, स्कूल के सामने) में वर्ष 2017 से 2019 के बीच पदस्थ कर्मचारी वीरेन्द्र प्रताप पुरसेठ एवं अन्य दो कर्मचारियों ने दलालों से सांठगांठ कर 26 ग्राहकों के नाम पर फर्जी व्यापार ऋण पास कराए।

इन कर्मचारियों ने कंपनी को धोखे में रखकर फर्जी दस्तावेज तैयार किए, अन्य व्यक्तियों की दुकानों को ग्राहकों का व्यवसायिक संस्थान बताकर सत्यापन कराया और कंपनी से करोड़ों की ऋण राशि निकालकर गबन कर लिया। जांच में पाया गया कि ग्राम बहिरकेला निवासी राजकुमार साहू ने चार फर्जी ग्राहकों के नाम पर 26 लाख रुपये का ऋण स्वयं प्राप्त किया तथा उक्त कर्मचारियों को रिश्वत भी दी।

घरघोड़ा पुलिस ने प्रार्थी की शिकायत पर अपराध क्रमांक 297/2025 धारा 419, 420, 467, 468, 470, 471, 120(बी) भा.द.वि. के तहत मामला दर्ज कर विवेचना प्रारंभ की। विवेचना के दौरान आज दिनांक 09 नवंबर 2025 को मुख्य आरोपी वीरेन्द्र प्रताप पुरसेठ पिता मनोरथ प्रसाद पुरसेठ उम्र 34 वर्ष निवासी वार्ड 08 नावापारा घरघोड़ा तथा दलाल राजकुमार साहू पिता रंगमोहन साहू उम्र 44 वर्ष निवासी ग्राम बहिरकेला को पुलिस ने हिरासत में लेकर पूछताछ की, जिन्होंने अपराध करना स्वीकार किया। दोनों आरोपियों को न्यायिक रिमांड पर भेजा गया है, वहीं अन्य सहयोगियों की तलाश जारी है।

इस कार्रवाई में थाना प्रभारी निरीक्षक कुमार गौरव साहू के नेतृत्व में सहायक उपनिरीक्षक खेमराज पटेल, प्रधान आरक्षक अरविंद पटनायक, आरक्षक हरीश पटेल, उद्योराम पटेल, चंद्रशेखर चंद्राकर, प्रहलाद भगत, भानु चंद्रा और महिला आरक्षक सुप्रिया सिदार की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

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