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रायगढ़: गणेश विसर्जन के दौरान पुलिस लाठीचार्ज के खिलाफ ग्रामीणों का आक्रोश, कोतरा रोड थाने के सामने धरना बनी राजनीति

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रायगढ़ :- रायगढ़ जिले के कोतरा रोड थाना क्षेत्र में गणेश विसर्जन के दौरान पुलिस द्वारा कथित लाठीचार्ज ने ग्रामीणों में गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है। बीती रात करीब 2 बजे कोसमनारा, कलमी गांव के 50 से 100 ग्रामीण कोतरा रोड थाने के सामने धरने पर बैठ गए, जो पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ विरोध जता रहे थे। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि विसर्जन के लिए जा रहे उनके समूह पर कोतरा रोड पुलिस ने बिना किसी उचित कारण के लाठीचार्ज किया, जिससे कई लोग चोटिल हुए।

सरपंच प्रतिनिधि कमलेश डनसेना ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि अन्य संगठनों द्वारा किए गए विसर्जन पर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की, लेकिन आदिवासी समुदाय को निशाना बनाया गया। उन्होंने सवाल उठाया, “क्या हम आदिवासी होने के कारण इस कार्रवाई का शिकार हुए?” ग्रामीणों का कहना है कि यह घटना उनके धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन होने के साथ-साथ सामाजिक भेदभाव को भी दर्शाती है।

घटना की सूचना पर रायगढ़ के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आकाश मरकाम देर रात थाने पहुंचे और ग्रामीणों को निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया। उन्होंने मीडिया से कहा, “घटना की गंभीरता को देखते हुए तत्काल कार्रवाई की जा रही है। घटनास्थल के सीसीटीवी फुटेज की जांच होगी और दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।”

इस बीच, इस मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया है। कांग्रेस के कुछ नेता ग्रामीणों के बुलावे पर मौके पर पहुंचे और उनकी समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया। हालांकि, सरपंच प्रतिनिधि के बीजेपी से जुड़े होने के कारण इस मुद्दे को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने के आरोप भी सामने आए हैं।

इस घटना पर सवाल उठ रहे हैं कि यदि सरपंच प्रतिनिधि को दोषियों पर कार्यवाही ही चाहिए थी, तो थाने के बाहर घेराव और धरने का क्या मतलब था, वह भी बिना लिखित शिकायत दिए? क्या ग्रामीणों को समस्या का निराकरण निकालना था या राजनीतिक रोटी सेकनी थी? जानकारों का कहना है कि सिर्फ घेराव कर धरना देकर, बिना लिखित शिकायत के, इस मुद्दे को अनावश्यक रूप से जटिल बनाया गया, जबकि आपसी बातचीत और उचित प्रशासनिक प्रक्रिया से समाधान निकाला जा सकता था। हर बार पुलिस को ही मोहरा क्यों बनाया जाता है, इस पर भी बहस छिड़ गई है।

यह घटना पुलिस और समुदाय के बीच बढ़ते अविश्वास को उजागर करती है। ग्रामीणों का धरना देर रात तक जारी रहा, और उन्होंने दोषियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की मांग की। इस मामले ने प्रशासनिक कार्यप्रणाली के साथ-साथ सामाजिक समानता और धार्मिक स्वतंत्रता जैसे मुद्दों को भी चर्चा में ला दिया है। जांच के परिणाम और प्रशासन की कार्रवाई पर सभी की नजरें टिकी हैं।

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