पूना मारगेम : पुनर्वास से पुनर्जीवन माओवादी कैडरों का आत्मसमर्पण

बस्तर रेंज माओवादी नेतृत्व लगातार टूट रहा है — ₹25 लाख का इनामी टॉप माओवादी कैडर एसज़ेडसीएम रामन्ना ईरपा उर्फ जगदीश ने बीजापुर में पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया है।

बस्तर रेंज में पुलिस और सुरक्षाबलों के लिए यह एक बड़ी सफलता रही, जहां ₹2.54 करोड़ के कुल इनामी राशि वाले 66 माओवादी कैडरों ने 24 जुलाई 2025 को आत्मसमर्पण किया।
आत्मसमर्पण करने वालों में 25 कैडरों ने बीजापुर में, 15 ने दंतेवाड़ा में, 13 ने कांकेर में, 08 ने नारायणपुर में और 05 ने सुकमा जिले में आत्मसमर्पण किया।

पुलिस महानिरीक्षक, बस्तर रेंज सुंदरराज पाट्टीलिंगम,
उप पुलिस महानिरीक्षक कमलोचन कश्यप (दंतेवाड़ा) तथा श्री अमित कांबले (कांकेर), वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, कांकेर आई. के. एलसाला,
पुलिस अधीक्षक — डॉ. जितेन्द्र यादव (बीजापुर), श्री गौरव राय (दंतेवाड़ा), रॉबिनसन गुरिया (नारायणपुर) तथा श्री किरण चव्हाण (सुकमा), तथा सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी और अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने आत्मसमर्पण करने वाले माओवादी कैडरों के इस निर्णय का स्वागत किया और उन्हें मुख्यधारा में शामिल होने के लिए सराहा।

आत्मसमर्पण करने वालों में शामिल हैं: 1 एसज़ेडसीएम, 4 डीवीसीएम, 10 पीएलजीए कैडर, 15 एरिया कमेटी पार्टी सदस्य, 7 एलओएस सदस्य, तथा 29 अन्य श्रेणी के कैडर।
अब तक छत्तीसगढ़ शासन एवं भारत सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर बस्तर रेंज में पिछले 18 महीनों में कुल 1,570 माओवादी कैडर हिंसा का मार्ग छोड़कर मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं।
अंदरूनी इलाकों में सुरक्षा शिविरों की स्थापना, सड़क, परिवहन, पेयजल, बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं का विस्तार तथा शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं की पहुंच से अब विकास अंतिम छोर के ग्रामीणों तक भी पहुँचने लगा है। स्थानीय समुदायों और सुरक्षा बलों के बीच बढ़ते विश्वास, सामुदायिक पुलिसिंग और आत्मसमर्पण नीति के व्यापक प्रचार-प्रसार ने इस आत्मसमर्पण की लहर को मजबूती दी है।
माओवादी विचारधारा से व्यापक मोहभंग, संगठन के भीतर बढ़ते आंतरिक मतभेद, और एक सुरक्षित व शांतिपूर्ण पारिवारिक जीवन की आकांक्षा — ये सभी प्रमुख कारण हैं, जिनके चलते माओवादी कैडर आत्मसमर्पण कर रहे हैं।
प्रत्येक आत्मसमर्पित कैडर को समाज में पुनर्समावेशन हेतु प्रारंभिक प्रोत्साहन के रूप में ₹50,000 का चेक प्रदान किया गया। शासन की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के अंतर्गत अन्य सहायता प्रदान करने की प्रक्रिया भी प्रारंभ की गई है।
पुलिस महानिरीक्षक, बस्तर रेंज सुंदरराज पाट्टीलिंगम ने कहा:
> “माओवादी कैडरों से बार-बार हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में लौटने की हमारी अपील अब सकारात्मक परिणाम दे रही है।
एक ही दिन में पाँच जिलों में 66 कैडरों, जिनमें एक राज्यस्तरीय समिति सदस्य भी शामिल है, का आत्मसमर्पण इस बात का स्पष्ट संकेत है कि नक्सली संगठन अब अपने अंत की ओर बढ़ रहा है।
> ‘पूना मारगेम : पुनर्वास से पुनर्जीवन* केवल एक अभियान नहीं है — यह आशा का प्रतीक है, इस विश्वास की अभिव्यक्ति है कि परिवर्तन संभव है — और यह समय इसी परिवर्तन का है।”
> “इन 66 कैडरों का यह निर्णय न केवल उनके भविष्य को सुरक्षित करेगा, बल्कि शांतिपूर्ण, समरस और प्रगतिशील बस्तर के निर्माण में उनकी भागीदारी को भी सुनिश्चित करेगा। हमें विश्वास है कि आने वाले दिनों में और भी कई कैडर, जिनमें शीर्ष नेतृत्व के सदस्य भी शामिल हैं, मुख्यधारा से जुड़ने के लिए आगे आएंगे।”





