
छत्तीसगढ़ के गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में एक दुखद घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। ग्राम पंचायत विशेषरा और भाड़ी के बीच जल संसाधन विभाग मरवाही द्वारा नहर सर्वे का कार्य चल रहा था। इसी दौरान 55 वर्षीय मजदूर हरि सिंह की करंट लगने से मौके पर ही मौत हो गई। हरि सिंह, जो सेकवा गांव के निवासी थे और दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते थे, सर्वे के दौरान 6 मीटर लंबा लेबलिंग स्टाफ (गेज) पकड़े हुए थे। इसी बीच वह 11 केवी के बिजली तार की चपेट में आ गए, जिससे उनकी जान चली गई।
हादसे की गंभीरता और सवालों का घेरा
यह हादसा न केवल दुखद है, बल्कि कई गंभीर सवालों को भी जन्म देता है। जानकारी के अनुसार, घटना के समय जल संसाधन विभाग के एसडीओ के.के. पैकरा और उप अभियंता सत्येंद्र कुमार कौशिक मौके पर मौजूद थे। इसके बावजूद ऐसी लापरवाही कैसे हुई कि एक मजदूर की जान चली गई? क्या इस हादसे को रोका जा सकता था? क्या सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए गए थे? इन सवालों का जवाब अभी तक स्पष्ट नहीं है।
जिम्मेदारी तय करने की मांग
हरि सिंह की मौत ने स्थानीय समुदाय और मजदूरों के बीच आक्रोश पैदा कर दिया है। इस घटना में कई बिंदु गंभीर चिंता का विषय हैं:
सुरक्षा उपायों की कमी: सर्वे जैसे कार्य में, जहां बिजली के तारों के आसपास काम हो रहा हो, वहां सुरक्षा उपकरणों और प्रशिक्षण का होना अनिवार्य है। क्या हरि सिंह को उचित सुरक्षा उपकरण प्रदान किए गए थे? क्या उन्हें बिजली के तारों से खतरे के बारे में पहले से चेतावनी दी गई थी?
अधिकारियों की जवाबदेही: जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी के बावजूद यह हादसा हुआ। क्या एसडीओ और उप अभियंता ने कार्यस्थल पर सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित किया था? अगर नहीं, तो उनकी जवाबदेही क्यों नहीं तय की जा रही?
मजदूरों की अनदेखी: हरि सिंह जैसे दिहाड़ी मजदूर, जो अपनी आजीविका के लिए जोखिम भरे काम करते हैं, उनकी सुरक्षा को प्राथमिकता क्यों नहीं दी जाती? क्या मजदूरों को केवल सस्ता श्रम माना जाता है, जिनके जीवन की कोई कीमत नहीं?
पुलिस जांच और आगे की कार्रवाई
पेंड्रा पुलिस ने इस मामले में मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह जांच केवल औपचारिकता बनकर रह जाएगी, या वास्तव में जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई होगी? स्थानीय लोगों और मृतक के परिवार की मांग है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों को सजा दी जाए। साथ ही, मृतक के परिवार को उचित मुआवजा और सहायता प्रदान की जाए।
मजदूरों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम जरूरी
यह घटना एक बार फिर मजदूरों की सुरक्षा के मुद्दे को सामने लाती है। गौरेला पेंड्रा मरवाही जैसे क्षेत्रों में, जहां बुनियादी ढांचा विकास के लिए सर्वे और निर्माण कार्य तेजी से हो रहे हैं, मजदूरों की जान को खतरे में डालने वाली लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जा सकती। सरकार और संबंधित विभागों को चाहिए कि:
हर कार्यस्थल पर सुरक्षा उपकरणों और प्रशिक्षण को अनिवार्य किया जाए।
बिजली के तारों जैसे खतरनाक क्षेत्रों में काम करने से पहले बिजली आपूर्ति अस्थायी रूप से बंद की जाए।
अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के लिए सख्त नियम लागू किए जाएं।
मजदूरों के परिवारों को हादसों के बाद तत्काल मुआवजा और सहायता दी जाए।
समाज और सरकार से अपील
हरि सिंह की मौत केवल एक परिवार का नुकसान नहीं, बल्कि यह हमारी व्यवस्था की नाकामी का प्रतीक है। यह समय है कि हम मजदूरों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा को गंभीरता से लें। जल संसाधन विभाग और स्थानीय प्रशासन को इस मामले में पारदर्शी जांच और त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही, समाज के हर वर्ग को यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
हरि सिंह जैसे मजदूरों की जान की कीमत कौन चुकाएगा? क्या यह हादसा लापरवाही का नतीजा है या सिस्टम की विफलता? इन सवालों का जवाब अब सरकार और प्रशासन को देना होगा।