
रायगढ़ : छत्तीसगढ़ के तमनार में हवा में बारूद की गंध तैर रही है। बरपाली गांव के लोग केलो स्टील एंड पावर प्राइवेट लिमिटेड के प्रस्तावित स्टील प्लांट को सांसों का दुश्मन बता, सड़कों पर उतर आए हैं। ये जंग सिर्फ जमीन की नहीं, बल्कि जल, जंगल और जीवन की है। एक तरफ उद्योग का लोहा, तो दूसरी तरफ ग्रामीणों का जोश—देखना ये है कि इस आग में कौन जलता है!
प्लांट का प्लान, ग्रामीणों का पंगा
ये कोई छोटी-मोटी फैक्ट्री नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी का तामझाम है! 2×250 टीपीडी डीआरआई किल्न्स से स्पंज आयरन बनेगा, 4×15 टन की इंडक्शन फर्नेस धातु पिघलाएगी। 15 टन की एलआरएफ, 10 TPH की आरएचएफ, और 1,94,040 टन सालाना हॉट बिलेट्स उगलता सीसीएम प्लांट।
रोलिंग मिल 1,86,766 टन टीएमटी बार्स, एंगल्स और चैनल्स बनाएगी। कोल-बेस्ड गैस प्लांट 4000 NM3/hr छोड़ेगा, 9 MVA का फेरो अलॉय प्लांट चमकेगा, और फ्लाई एश ब्रिक प्लांट रोज 54,900 ईंटें उगलेगा। मगर बरपाली के लोग कहते हैं, “ये प्रगति का ढोल नहीं, हमारी सांसों का कफन है!”
जनसुनवाई: शोर या सवाल
छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल ने 15 मई 2025 को सुबह 11 बजे बरपाली में जनसुनवाई का ढिंढोरा पीटा है। ईआईए रिपोर्ट हिंदी-अंग्रेजी में जिला पंचायत, कलेक्टर कार्यालय, पुसौर जनपद पंचायत और मंडल की वेबसाइट (www.cgpcb.gov.in) पर सजी है। चाहें तो लिखकर आपत्ति भेजो, या सुनवाई में जाकर गला फाड़ो। मगर ग्रामीणों का सवाल है—क्या ये सुनवाई उनकी पुकार सुनेगी, या सिर्फ कागजी खेल होगा?
आक्रोश की आग क्यों
तमनार का दिल कोल-बेस्ड इस प्लांट को जहर का टीका मानता है। पहले से प्रदूषण की मार झेल रहे इस इलाके में नया उद्योग हवा को और काला करेगा। ग्रामीण चीख-चीखकर कह रहे हैं कि उद्योगों के “हरियाली” वादे हमेशा हवा-हवाई साबित हुए। तमनार में जल, जंगल, जमीन की लड़ाई पुरानी है।
धरने, प्रदर्शन, आंदोलन—क्या-क्या नहीं किया, मगर हर बार सत्ता और पूंजी की चाल ने उनकी आवाज दबा दी। विशेषज्ञ चेताते हैं कि उद्योगों का धुंआ बीमारियां बांट रहा है, उम्र छीन रहा है। यही वजह है कि केलो स्टील का सपना ग्रामीणों के गुस्से की भट्टी में तप रहा है।
क्या होगा अंजाम
जनसुनवाई का रास्ता कांटों से भरा है। एक तरफ ग्रामीणों का तूफानी तेवर, दूसरी तरफ उद्योग का पैसा और पावर। क्या केलो स्टील ग्रामीणों को मना पाएगा, या बरपाली की बगावत इतिहास रचेगी? ये लोहा सिर्फ स्टील का नहीं, इरादों का भी है। तमनार की धरती पर अब सांसों की जंग शुरू है!