छत्तीसगढ़

दशकों बाद चक्रधरपुर वासियों को मिलेगा अनुमंडलीय व्यवहार न्यायालय का सौगात , 14 जुलाई को विधिवत रूप से होगा इसका लोकार्पण

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 Sanat Pradhan @चक्रधरपुर। चक्रधरपुर अनुमंडल के लोगो को अब नवनिर्मित अनुमंडलीय व्यवहार न्यायालय में न्याय मिलेगा। 14 जुलाई को चक्रधरपुर व्यवहार न्यायालय का विधिवत उद्घाटन किया जायगा। इसके लिए भवन निर्माण विभाग और चक्रधरपुर नगर परिषद की और से युद्ध स्तर पर तैयारी की जा रही है।

नवनिर्मित भवन का रंग रोगन के साथ साथ प्रवेश द्वार में अनुमंडलीय व्यवहार न्यायालय का नाम अंकित किया जा रहा है। भवन परिसर की सफाई का कार्य युद्ध स्तर पर शुरू कर दिया गया है। जिसका मॉनिटरिंग प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा लगातार की जा रही है।इस दौरान खुद डिस्ट्रिक्ट जज कई बार व्यवहार न्यायालय तथा नवनिर्मित जेल का दौरा कर निर्माण कार्य का जायजा ले चुके है।

व्यवहार न्यायालय के उद्घाटन को लेकर बार एसोसिएशन में चहलकदमी

 

व्यवहार न्यायालय का उद्घाटन को लेकर चक्रधरपुर बार एसोसिएशन में चहल कदमी बढ़ गई है। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सुब्रत कुमार प्रधान के नेतृत्व में उपाध्यक्ष सुमन कुमार चौरसिया, सचिव मुरारी प्रधान, सह सचिव दिलीप प्रधान, संयुक्त सचिव मौसमी मुखी, कोषाध्यक्ष नरेश कुमार महतो, सह कोषाध्यक्ष कदमा मुखी और 6 कार्यकारिणी सदस्य सहित 36 सदस्यीय टीम लगातार बैठक कर समारोह को सफल बनाने में जुट गई है। अध्यक्ष सुब्रत कुमार प्रधान ने कहा की व्यवहार न्यायालय के शुभारंभ होने से अंचल के लोगों को बहुत सहूलियत होगा। अब सारा कार्य चक्रधरपुर में हो सकेगा। एडबोकेट श्री प्रधान ने कहा की अतिथि के स्वागत के लिए बार एसोसिएशन की टीम तैयार है। शुक्रवार शाम को डिस्ट्रिक जज के साथ समारोह को लेकर एक बैठक बुलाई गई है।

क्या है चक्रधरपुर अनुमंडलीय व्यवहार न्यायालय का इतिहास ?

अविभाजित बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ जगन्नाथ मिश्र ने भगौलिक दृष्टिकोण से पश्चिमी सिंहभूम जिले के पांच प्रखंड चक्रधरपुर, बंदगांव , सोनुआ गोईलकेरा और मनोहरपुर प्रखंड को मिलाकर 26 जनवरी 1985 को पोडाहाट अनुमंडल बनाया था। अनुमंडल बनने के बाद भी पोडाहाट अनुमंडल मुख्यालय चक्रधरपुर में एस डी जे एम कोर्ट शुरू नहीं हुआ था जिसके फलस्वरूप इस इलाके तथा सुदूरवर्ती अंचल के लोगों को कोर्ट कार्य के लिए चाईबासा का रुख करना पड़ता था।

2000 में बिहार से अलग होकर झारखंड राज्य बनने के बाद तत्कालीन मुख्य मंत्री अर्जुन मुंडा के प्रयास से सोनुआ प्रखंड से अलग कर गुदड़ी और मनोहरपुर प्रखंड से अलग कर आनंदपुर प्रखंड बनाया गया। इसके बाद से पोडाहाट अनुमंडल में कुल सात प्रखंड बन कर कार्य करने लगे । बाबजूद इसके चक्रधरपुर में एसडीजेएम कोर्ट का शुरुआत नही हुआ। दो दशक पूर्व बोरदा पुलिया के पास जेल और उसके एक दशक बाद चक्रधरपुर में अनुमंडलीय व्यवहार न्यायालय भवन का निर्माण कार्य शुरु किया किया गया।

लगभग पांच साल पहले व्यवहार न्यायालय भवन का निमार्ण कार्य पूरा हो गया। इसके बाद भी यह मामला लंबित पड़ा हुआ था। इस बीच भवन का उपयोग नहीं होने के कारण भवन परिसर में लंबे लंबे घास और जंगल झाड़ उग आए। भवन के खिड़की दरवाजे झड़ने लगे थे। अंचल वासी कोर्ट के शुरू होने का बाट जोह रहे थे।

विधायक सुखराम उरांव ने सदन में उठाया था व्यवहार न्यायालय का मामला

चक्रधरपुर के विधायक सह झारखंड मुक्ति मोर्चा के जिला अध्यक्ष सुखराम उरांव ने नवनिर्मित एसडीजेएम कोर्ट में भवन में एसडीजेएम कोर्ट तत्काल प्रारंभ करने की मांग उठाया था। इसके जबाव में विभागीय मंत्री के द्वारा कोर्ट परिसर में अतिरिक्त कम्यूनिटी हाल का निर्माण कार्य चल रहा है और निर्माण कार्य पूरा होने के बाद इसका विधिवत उद्घाटन किए जाने की बात कही थी।

कोर्ट के उद्घाटन को लेकर बार एसोसिएशन के महिला सदस्यों में है खासा उत्साह,

चक्रधरपुर में एस डी जे एम कोर्ट के उद्घाटन को लेकर बार एसोसिएशन के महिला सदस्यों में खासा उत्साह है। एसोसिएशन के संयुक्त सचिव मौसमी मुखी, सह कोषाध्यक्ष कदमा बोदरा, राधा साहू,लीलावती गिरी सहित अन्य महिला अधिवक्ताओं ने कोर्ट के उद्घाटन को लेकर हर्ष जताते हुए कहा की इससे अंचल के लोगो को काफी लाभ होगा। अंचल के लोगों को कोर्ट काम के लिए अब चाईबासा नहीं जाना पड़ेगा।

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