
जनप्रतिनिधियों की शिकायत को भी तजव्वो नही.
कोरबा/पाली:- सरकार द्वारा सरकारी कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्ट्राचार पर अंकुश लगाने और कामकाज में कसावट तथा पारदर्शिता लाने की मकसद से नियत समय पर अधिकारी- कर्मचारियों का तबादला किया जाता है, ताकि जनता के बीच अपनी पैठ बना चुके नौकरशाह भ्रष्ट्राचार को बढ़ावा और निर्वाचन आयोग द्वारा पारित कार्यों को प्रभावित न कर सके। जिसके बावजूद वन विभाग में तबादला नीति का पालन नही हुआ व इस नियम को ठेंगा दिखाया जा रहा है।
कटघोरा वनमंडल के पाली उप वनमंडल में 8- 9 वर्ष से जमे डिप्टी रेंजर यशमन कुमार आडिल और साढ़े तीन वर्ष से पदस्थ उप वनमंडलाधिकारी चंद्रकांत टिकरिया का तबादला शायद शासन ने भूला दिया है। आपको जानकर हैरानी होगी कि यशमन कुमार आडिल पाली वन परिक्षेत्र में बीटगार्ड के रूप में पदस्थ हुए और प्रमोशन होते हुए डिप्टी रेंजर के पद पर ऐसे जमे कि अंगद का पांव भी शायद हील जाए परंतु इनका तबादला नामुमकिन लग रहा है। वहीं उप वनमंडलाधिकारी चंद्रकांत टिकरिया भी साढ़े तीन साल से पाली उप वनमंडल की कुर्सी से चिपके है। शायद इनकी भी कुर्सी में फेवीक्विक लग चुका है। अब प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव व त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होने है। ऐसे में निर्वाचन आयोग के दिशा- निर्देश के अनुसार ऐसे अधिकारी- कर्मचारी का तबादला किया जाए जो तय समय से अधिक तक एक ही स्थान पर जमे है तथा जो चुनाव को प्रभावित कर सकते है।
जिसके बावजूद इनका तबादला न करते हुए पाली उप वनमंडल के वन परिक्षेत्रों में घोटालों और भ्रष्ट्राचार को बढ़ावा दे रहे है। क्या निर्वाचन आयोग को स्वयं आना होगा पाली उप वनमंडल में वर्षों से जमे अधिकारी- कर्मचारी पर कार्यवाही करने जो प्रत्यक्ष तो नही परंतु अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव को प्रभावित कर सकते है। जिसकी शिकायत भाजपा मंडल पाली के अध्यक्ष रोशन सिंह ठाकुर, नगर पंचायत अध्यक्ष उमेश चंद्रा व जनपद पंचायत पाली के उपाध्यक्ष नवीन कुमार सिंह के संयुक्त हस्ताक्षर से गत 19 दिसम्बर 2024 को वन मंडलाधिकारी कुमार निशांत को सौंपा गया था। जिसमे आरोप लगाया गया था कि पाली सर्किल इंचार्ज यशमन कुमार आडिल लगातार 8- 9 वर्षों से एक ही स्थान पर पदस्थ है। जिनके द्वारा सत्ता पार्टी विरोधी कार्य किया जा रहा है। आदिवासी लोगों से वसूली एवं अवैध कार्य को अंजाम दिया जा रहा है। इनके अन्यंत्र तबादला की मांग की गई थी और जिस शिकायत की प्रति मुख्यमंत्री, वनमंत्री सहित वन अफसरों को प्रेषित किया गया था। जिसके बाद भी इन्हें नही हटाया गया। जबकि शिकायतकर्ताओं की माने तो श्री आडिल भ्रष्ट्राचार मामले व विभागीय सांठगांठ होने को लेकर इनका तबादला नही हो पाया है। ऐसे में शासन की तबादला नीति डिप्टी रेंजर यशमन कुमार आडिल व उप वनमंडलाधिकारी चंद्रकांत टिकरिया के लिए माखौल बनकर रह गया है।
उप वनमंडलाधिकारी व डिप्टी रेंजर की मिलीभगत से व्यापक भ्रष्ट्राचार, रेंजर बने मोहरा
पाली वन परिक्षेत्र में 8- 9 वर्ष से जमे डिप्टी रेंजर यशमन कुमार आडिल व उप वनमंडलाधिकारी चंद्रकांत टिकरिया के मिलीभगत से पाली परिक्षेत्र में व्यापक भ्रष्ट्राचार किया गया है। इनके सांठगांठ से मुरली सर्किल अंतर्गत रतिजा बीट के कक्ष क्रमांक 599 रतिजा व अंडीकछार के जंगल मे बीते वर्ष के माह मई- जून में पोस्ट डिपॉजिट फंड से 97 लाख के तीन तालाब निर्माण में जमकर घपला घोटाला किया गया। जिसमें निर्मित एक तालाब का मेढ़ पहली ही बारिश में फूट गया तो अन्य दो तालाब बनाए ही नही गए। बतरा सर्किल के कोडार में रोजगार मूलक कार्य के तहत सवा करोड़ की अलग- अलग लागत वाले दो स्थानों पर मुर्गी पालन योजना में भी पूर्व से निर्मित शेड को नया बताया गया और 15 लाख कीमती बॉयलर, 15 लाख रुपए के सोनाली व 20 लाख के कड़कनाथ मुर्गा पालन के नाम पर गिनती के मुर्गा समूहों को प्रदान किया गया।
जिन समूहों के हालात आज यह है कि उनके खाते में एक साल बाद भी आय राशि मे बढ़ोतरी नही हो पायी। पौधारोपण नर्सरी में भी मनमाना घोटाला किया गया है। सूत्र बताते है कि ये सब भ्रष्ट्राचार उप वनमंडलाधिकारी व डिप्टी रेंजर के मिलीभगत से हुआ है, जिसमे वन परिक्षेत्राधिकारी पाली महज रबर स्टैम्प बनकर रह गए है। विडंबना यह है कि जिनके हस्ताक्षर से लाखों- करोड़ों का वारा- न्यारा किया जा रहा है। इसके अलावा अवैध खनन, कटान, अतिक्रमण के मामलों पर भी अंकुश नही लग पा रहा है। यदि इन कार्यों की जमीनी हकीकत जानने इनसे संबंधित आंकड़ों के फाइलों की निष्पक्ष और पारदर्शिता जांच की जाए तो यकीनन चौकाने वाले मामले उजागर होंगे। लेकिन दुर्भाग्य कि ये तमाम मामले खबरों के माध्यम से सामने आने के बाद भी जांच करवाई को लेकर विभागीय अफसरों के कानों में जूं तक नही रेंगी। जिससे भ्रष्ट्राचारियों के हौसलों को पर मिल गए है।