छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में नक्सल ऑपरेशन: 2024-2025 की विस्तृत रिपोर्ट पढ़े पूरी खबर

रायगढ़ : छत्तीसगढ़ राज्य, विशेष रूप से बस्तर क्षेत्र, नक्सलवाद के खिलाफ सुरक्षा बलों की संघर्ष की एक लंबी और कठिन कहानी को समेटे हुए है। नक्सलवाद की समस्या राज्य में कई दशकों से व्याप्त रही है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में, खासकर 2024 और 2025 में, सुरक्षाबलों ने इस पर काबू पाने के लिए बड़े पैमाने पर ऑपरेशनों को अंजाम दिया है। इस रिपोर्ट में हम उन प्रमुख घटनाओं और ऑपरेशनों की विस्तृत जानकारी देंगे, जो इन दो वर्षों में छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए आयोजित किए गए।

2024 के नक्सल ऑपरेशनों की प्रमुख घटनाएँ

2024 की शुरुआत में, राज्य के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू की। सुरक्षाबलों ने बस्तर और सुकमा जिलों में गहन तलाशी अभियान चलाए, जिसमें कई मुठभेड़ों और कड़ी कार्रवाई की खबरें आईं।

जनवरी 2024

इस माह में सुरक्षाबलों ने बस्तर के जंगलों में नक्सलियों के ठिकानों पर हमला किया। इस दौरान सुरक्षाबलों ने कई नक्सलियों को घेरकर मारा, हालांकि यह महीना बड़े ऑपरेशनों के लिहाज से अधिक सक्रिय नहीं रहा। फिर भी, कई नक्सलियों के मारे जाने की सूचनाएं आईं। सुरक्षाबलों की कार्रवाई में नक्सलियों के ठिकानों से भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद भी बरामद किया गया।

4 अक्टूबर 2024

यह तारीख 2024 के नक्सल विरोधी ऑपरेशनों के लिए एक अहम मोड़ साबित हुई। बस्तर क्षेत्र के दंतेवाड़ा और नारायणपुर जिलों की सीमा पर हुई एक जबरदस्त मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने 31 नक्सलियों को मार गिराया। यह मुठभेड़ वर्ष 2024 की सबसे बड़ी सफलता थी।

इस ऑपरेशन में सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के एक बड़े गढ़ को नष्ट कर दिया, जो नक्सलियों के लिए एक बड़ा झटका था। इस मुठभेड़ के दौरान कोई सुरक्षाबल का जवान शहीद नहीं हुआ, लेकिन यह सफलता नक्सलवाद के खिलाफ राज्य सरकार और सुरक्षाबलों के दृढ़ संकल्प का प्रतीक बनी।

अक्टूबर 2024 – दिसंबर 2024:

इस अवधि में सुरक्षाबलों ने कई और ऑपरेशनों को अंजाम दिया। बस्तर क्षेत्र में ऑपरेशनों का सिलसिला जारी रहा। सुरक्षाबलों ने कड़ी निगरानी और रणनीतिक दृष्टिकोण के साथ कई नक्सली छापों को नाकाम किया। इस दौरान कुल 237 नक्सलियों को मारा गया, जिनमें से 217 के शव पुलिस के कब्जे में आए।

शेष 20 नक्सलियों के मारे जाने की पुष्टि खुद नक्सलियों ने की। इसके अतिरिक्त, 925 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया और 792 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया और मुख्यधारा में लौटे। यह संख्या न केवल सुरक्षाबलों की सफलता को दर्शाती है, बल्कि नक्सलवाद के खिलाफ जारी जनजागृति और सुरक्षा बलों की रणनीतिक सफलता को भी प्रमाणित करती है।

2025 में नक्सल ऑपरेशनों का परिणाम

2025 का पहला तिमाही छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ और भी सख्त कार्रवाई की रही। सुरक्षाबलों ने ऑपरेशनों में किसी भी प्रकार की ढिलाई नहीं बरती, और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में दबाव बनाए रखा।

20 मार्च 2025

बीजापुर जिले में एक मुठभेड़ के दौरान, एक डीआरजी (District Reserve Guard) जवान शहीद हो गया। यह मुठभेड़ नक्सलियों द्वारा किए गए एक घातक हमले के परिणामस्वरूप हुई। हालांकि, सुरक्षाबलों ने 18 नक्सलियों को मार गिराया और कई अन्य को घायल किया।

शहीद जवान की शहादत ने सुरक्षाबलों को और अधिक प्रेरित किया, और यह साबित किया कि नक्सलवाद के खिलाफ उनकी लड़ाई में उन्हें कोई भी कीमत चुकानी पड़े, वे पीछे नहीं हटेंगे। यह घटना न केवल सुरक्षा बलों के लिए एक व्यक्तिगत क्षति थी, बल्कि इसने उनके जज्बे और नक्सलियों के खिलाफ उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति को और मजबूत किया।

नक्सल ऑपरेशनों का व्यापक असर

इन नक्सल विरोधी अभियानों के परिणामस्वरूप राज्य में नक्सलवाद के खिलाफ एक स्थिर माहौल उत्पन्न हुआ। जहां एक ओर नक्सलियों के लिए लगातार चुनौतियां बढ़ी, वहीं दूसरी ओर स्थानीय समुदाय और आम नागरिक भी नक्सलियों से मुक्ति के लिए जागरूक होने लगे।

नक्सलवादियों के खिलाफ इन अभियानों में सबसे बड़ी सफलता यही रही कि कई नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया और समाज की मुख्यधारा में लौटे। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की संख्या ने यह साबित कर दिया कि सुरक्षाबलों के प्रयासों से न केवल नक्सलियों को ध्वस्त किया गया, बल्कि उन्हें एक नया जीवन जीने का अवसर भी मिला।

इसके अलावा, इन अभियानों से यह भी स्पष्ट हुआ कि सुरक्षाबलों का एकमात्र उद्देश्य नक्सलियों के खिलाफ हिंसा को कम करना नहीं, बल्कि स्थानीय जनसंख्या को सुरक्षा और शांति प्रदान करना है। यह सुनिश्चित करना कि नक्सलवादी अपनी गतिविधियों को छोड़कर मुख्यधारा में वापस आए, सरकार का प्राथमिक उद्देश्य बन गया।

सुरक्षा बलों की शहादत और उनके साहस

नक्सल विरोधी अभियानों में सुरक्षाबलों को कई बार भारी नुकसान भी उठाना पड़ा। शहीद हुए जवानों ने अपनी शहादत से यह सिद्ध किया कि नक्सलवाद से जंग केवल शस्त्रों से नहीं, बल्कि कड़ी मेहनत, दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास से भी लड़ी जाती है। इन वीर जवानों की शहादत को न केवल उनके परिवारों ने, बल्कि पूरे राज्य ने श्रद्धांजलि अर्पित की। राज्य सरकार ने शहीदों के परिवारों को सम्मानित किया और उनकी शहादत को कृतज्ञता के साथ याद किया।

जनवरी 2024 से फरवरी 2025 तक छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियानों ने यह सिद्ध कर दिया कि राज्य सरकार और सुरक्षा बल नक्सलवाद के खिलाफ पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। बस्तर और अन्य नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षाबलों ने न केवल नक्सलियों का सफाया किया, बल्कि हजारों नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने का अवसर भी दिया।

हालांकि सुरक्षा बलों को कई कठिनाइयों और नुकसान का सामना करना पड़ा, उनका संघर्ष नक्सलवाद के खिलाफ जारी रहेगा। इन ऑपरेशनों ने यह भी स्पष्ट किया कि छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए समर्पण, साहस, और एकजुटता की आवश्यकता है, और यह कदम लगातार उठाए जा रहे हैं।

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