छत्तीसगढ़रायगढ़

शासकीय कर्मचारी पर गंभीर आरोप: घायल श्रमिक को मुआवजा देने से किया इनकार, उल्टा दी धमकी

नगर निगम की निष्क्रियता फिर सवालों के घेरे में, पीड़ित श्रमिक ने सहायक श्रमायुक्त से लगाई न्याय की गुहार

रायगढ़। नगर पालिक निगम रायगढ़ के भवन अधिकारी अमरेश लोहिया द्वारा जारी नोटिस के बावजूद वार्ड नंबर 28, किलो विहार कॉलोनी में हो रहे अवैध निर्माण कार्य ने एक श्रमिक के लिए मुसीबत खड़ी कर दी। राज मिस्त्री रामदयाल यादव को निर्माण स्थल पर गंभीर चोट लगने के बाद मुआवजा मांगने पर धमकाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है।

अवैध निर्माण पर नहीं हुई कार्रवाई, श्रमिक को चुकानी पड़ी कीमत
15 जनवरी 2025 को राजकुमार सिदार को भवन निर्माण के दस्तावेज प्रस्तुत करने का नोटिस जारी किया गया था। लेकिन न तो निर्माण कार्य रोका गया और न ही जरूरी दस्तावेज जमा किए गए। 1 फरवरी 2025 को निर्माण स्थल पर कार्यरत रामदयाल यादव की बाईं आंख में छड़ लगने से गंभीर चोट आई। समय रहते नगर निगम द्वारा उचित कार्रवाई की जाती तो यह हादसा टल सकता था।

मुआवजे की मांग पर धमकी, लिखित शिकायत दर्ज
घायल श्रमिक रामदयाल यादव ने इलाज के लिए मुआवजे की मांग की, लेकिन राजकुमार सिदार, जो न्यायालय नजूल अधिकारी रायगढ़ में सहायक ग्रेड-2 के पद पर कार्यरत हैं, ने मुआवजा देने से साफ इनकार कर दिया और उल्टा धमकी दी। इस घटना से भयभीत रामदयाल ने 5 फरवरी 2025 को सहायक श्रमायुक्त घनश्याम पाणिग्रही के समक्ष लिखित शिकायत दर्ज कराई है।

इलाज के लिए 70 हजार रुपये की जरूरत, समय पर मदद न मिलने पर आंख खोने का खतरा
पीड़ित के अनुसार, इलाज के लिए करीब 65 से 70 हजार रुपये की जरूरत है। रायगढ़ के सिद्धेश्वर आई हॉस्पिटल और रायपुर के एसबीएच आई हॉस्पिटल की मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, ऑपरेशन जरूरी है। समय पर इलाज न मिलने पर रामदयाल को हमेशा के लिए अपनी आंख की रोशनी खोने का खतरा है।

नगर निगम की लापरवाही पर उठे सवाल
यह मामला नगर निगम रायगढ़ की निष्क्रियता को उजागर करता है, जहां पहले से जारी नोटिस के बावजूद अवैध निर्माण जारी रहा और अब एक गरीब श्रमिक के जीवन पर संकट खड़ा हो गया है। सवाल यह है कि क्या पीड़ित श्रमिक को समय पर न्याय और मुआवजा मिलेगा या उसे अपनी आंख की रोशनी गंवानी पड़ेगी?

आखिर जिम्मेदार कौन?
अगर समय रहते इलाज नहीं हुआ तो रामदयाल यादव की आंख की रोशनी हमेशा के लिए जा सकती है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या नगर निगम और संबंधित अधिकारी इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार माने जाएंगे? क्या दोषियों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई होगी? यह मामला अब सभी की नजरों में है।

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