छत्तीसगढ़

तातापानी महोत्सव बना सर्वधर्म समभाव का प्रतीक

300 बेटियों के हाथ हुए पीले

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने नवदम्पतियों को दिया आशीर्वाद

बलरामपुर मकर संक्रांति के पावन अवसर पर तातापानी महोत्सव में छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और सामाजिक समरसता की अनूठी मिसाल देखने को मिली। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की उपस्थिति में 300 नवयुगल परिणय सूत्र में बंधे। यह महोत्सव सर्वधर्म समभाव का प्रतीक बनकर उभरा, जहां हिंदू, मुस्लिम और क्रिश्चियन रीति-रिवाजों के साथ विवाह संपन्न हुए।


सर्वधर्म समभाव की अद्भुत मिसाल

मुख्यमंत्री ने कहा, यह मेरे लिए गौरव का विषय है कि आज 300 बेटियों के हाथ पीले हो रहे हैं। यह आयोजन न केवल गरीब और जरूरतमंद परिवारों के लिए संबल है, बल्कि समाज में एकता और सौहार्द का संदेश भी देता है। इस सामूहिक विवाह में 291 जोड़ों का विवाह हिंदू परंपरा के अनुसार मंत्रोच्चार और सात फेरों के साथ हुआ। एक मुस्लिम जोड़े का निकाह मौलाना ने कराया, जबकि आठ जोड़ों ने क्रिश्चियन परंपरा के अनुसार पादरी की उपस्थिति में एक-दूसरे के प्रति वफादारी का वचन लिया।

मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना बनी सहारा

कार्यक्रम में कन्या विवाह योजना के तहत गरीब परिवारों की बेटियों के विवाह में सहायता दी गई। कुसमी विकासखंड के जलबोधा गांव की सुश्री कुंती नगेशिया, जो दोनों आंखों से देख नहीं सकतीं, ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा, श्मेरी आर्थिक स्थिति और दिव्यांगता के कारण विवाह की राह मुश्किल थी। आज मुख्यमंत्री के आशीर्वाद और इस योजना की मदद से मेरा विवाह संपन्न हुआ।

जॉनसन तिर्की, रिंता केरकेट्टा और अल्ताफ खान के परिवारों ने भी इस आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि यह पहल समाज के सभी वर्गों को जोड़ने और उनकी जरूरतों को पूरा करने का अनूठा प्रयास है।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के साथ मंत्री श्री रामविचार नेताम, अनेक जनप्रतिनिधियों और हजारों लोगों ने नवदम्पतियों को आशीर्वाद दिया। सभी ने मिलकर इस आयोजन को ऐतिहासिक और प्रेरणादायक बना दिया।

समाज में सौहार्द का संदेश

मुख्यमंत्री ने नवदम्पतियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा, आपसी सम्मान, भरोसे और जिम्मेदारी से अपने वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाएं। यह सामूहिक विवाह समाज में एकता, प्रेम और सौहार्द का संदेश है।

छत्तीसगढ़ शासन द्वारा संचालित यह योजना न केवल आर्थिक सहायता प्रदान करती है, बल्कि गरीब परिवारों के सपनों को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। तातापानी महोत्सव और मकर संक्रांति का यह संगम न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता का उत्सव था, बल्कि यह उम्मीदों का नया सूरज भी लेकर आया।

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