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फ़्लोरामैक्स के नाम से लोन लेने वाली महिलाओं के घर बैंक कर्मचारियों का दबाव, RBI के निदेशक से 7 बैंकों के खिलाफ लिखित शिकायत

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छत्तीसगढ़ : कोरबा जिले में इन दिनों महिलाओं के साथ ठगी करने वाली फ्लोरा मैक्स नामक कंपनी की चर्चा जोरो पर है इस कंपनी के द्वारा महिलाओं को आर्थिक लाभ का प्रलोभन देते हुए हजारों महिलाओं को पहले माइक्रोफाइनेंस बैंकों के द्वारा लोन दिलाया गया और लोन की रकम को फ्लोरा मैक्स कंपनी में जमा कराया गया कुछ दिन पहले कंपनी पर कोरबा पुलिस ने कार्रवाई भी की है।


महिलाओं को लोन देने वाले माइक्रोफाइनेंस बैंक के कर्मचारियों के द्वारा लोन की वसूली के लिए घर पहुंच कर ऋण वसूली का दबाव डाला जा रहा है। आपको बता दे लोन लेने वाली अधिकांश महिलाएं अत्यंत गरीब वर्ग के हैं जिनके पास रोजगार का भी कोई विकल्प नहीं है ऐसे में बैंक कर्मियों के द्वारा घर पहुंच कर उसे हर हालत में ऋण चुकाने का दबाव डालने की खबर आ रही है।

इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ता ने आरबीआई के मुख्य निदेशक को पत्र लिखते हुए आरोप लगाया है कि बैंकों के द्वारा महिलाओं को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। शिकायत करता ने बंधन बैंक,भारत फाइनेंस,HDFC,ग्राम शक्ति,संगम बैंक,विक्टर फाइनेंस और इस वंदना के द्वारा महिलाओं को आरबीआई के नियम के विपरीत ऋण वसूली करने के तरीके से होने वाले प्रताड़ना से अवगत कराया है। शिकायतकर्ता के अनुसार बैंक के कर्ज के कारण पूर्व में कई महिलाएं आत्महत्या जैसे आत्मघाती कदम उठा चुकी है ऐसे में नियम विपरीत वसूली और बैंक के कर्मचारियों के दुर्व्यवहार के कारण अप्रिय घटना के संदेह को व्यक्त करते हुए कार्यवाही की मांग की है।

आरोप है कि बैंक के कर्मचारियों के द्वारा सुबह होते ही लोन लेने वाली महिलाओं के घर में बैठकर सभी महिलाओं को बुलाया जाता है और किसी भी हालत में पैसा पटाने का दबाव डाला जाता है जो नियम के विपरित है।

क्या है रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के नियम

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पर्सनल लोन की वसूली के लिए कई दिशानिर्देश जारी किए हैं:
लोन रिकवरी की प्रक्रिया निष्पक्ष और उचित होनी चाहिए.
रिकवरी एजेंटों को उधारकर्ताओं से डील करते समय ज़बरदस्ती, बल या आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
बैंकों और वित्तीय संस्थानों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके रिकवरी एजेंट अच्छी तरह से प्रशिक्षित हों और नैतिक तरीकों का पालन करते हों.

लेंडर को उधारकर्ताओं की निजी जानकारी की गोपनीयता बनाए रखनी चाहिए.
उधारकर्ताओं को अपने बकाया कर्ज़ का विवरण जानने का अधिकार है.
लेंडर को एक स्ट्रक्चर्ड और उचित लोन सेटलमेंट प्रक्रिया अपनानी चाहिए.
वसूली एजेंटों को उधारकर्ता से व्यक्तिगत रूप से बात करनी चाहिए.
वसूली एजेंटों को उधारकर्ताओ को एक कानूनी नोटिस जारी करने का अधिकार है.
वित्तीय संस्थान और उनके वसूली एजेंट कर्जदारों को सुबह आठ बजे से पहले और शाम सात बजे के बाद फ़ोन नहीं कर सकते.

अब सवाल यह है सभी बैंकों के लिए आरबीआई ने एक तरह के नियम और निर्देश जारी किए हैं ऐसे में माइक्रोफाइनेंस बैंकों के कर्मचारियों के द्वारा महिलाओं के घर में जाकर ऋण वसूली का यह तरीका क्यों अपनाया जा रहा है। या यूं कहे आरबीआई के नियम के विपरीत कार्य क्यों किया जा रहा है क्या उन्हें कार्रवाई का भय नहीं है या नियम और निर्देशों को दरकिनार करते हुए अपनी मनमानी कर रहे हैं।

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