नक्सल अभियान, किसका कितना योगदान
6 महीने की 72 मुठभेड़ों में 138 माओवादियों के शव बरामद करने के साथ ही बस्तर पुलिस ने बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं।
खास बात यह है कि एंटी नक्सल ऑपरेशन संभाग के सभी जिलों में बदस्तूर जारी हैं।
रेंज स्तर पर जिस तरह एक के बाद एक सफलता मिल रही है, उससे जवानों के हौसले बुलंद हैं। सर्वाधिक 51 नक्सली बीजापुर जिले में मारे गए हैं, जबकि कांकेर में 34 और नारायणपुर पुलिस ने 28 माओवादियों को ढेर करने में सफलता हासिल की है।
इसके अलावा इन मुठभेड़ों में मारे गए नक्सलियों से कई स्वचलित हथियार, गोला-बारुद और अन्य सामान बरामद हुआ है।
दरअसल बेहतर सूचना तंत्र की वजह से फोर्स को यह सफलताएं मिल रही हैं। जानकार बता रहे हैं कि अबूझमाड़ से बड़ी संख्या में लोग फोर्स में शामिल हुए हैं। हाल ही में इनकी भर्तियां हुई हैं और इसलिए जो सूचनाएं आ रही हैं, वह पुख्ता हैं। इसके अलावा सूचना मिलने के तत्काल बाद फोर्स एक्शन ले रही है। ऐसे में नक्सलियों को लोकेशन बदलने का मौका नहीं मिल पा रहा है।
नक्सल मोर्चे पर वैसे तो हर जिले में बेहतर काम हो रहा है, लेकिन आंकड़ों के आइने में पिछड़ रहे जिलों को लेकर जब समीक्षा की जा रही है तो इसी तरह के तथ्य सामने आ रहे हैं। सुकमा और कोंडागांव जिले में हाल ही में जो भर्तियां हुई हैं, उसमें माड़ या फिर धुर नक्सल प्रभावित इलाकों के लोग शामिल नहीं हैं।
संभवतः यह एक बड़ी वजह है कि इन दोनों जिलों के आंकड़े वैसे नहीं दिख रहे, जैसे दूसरे जिलों के दिखाई दे रहे हैं। बहरहाल 6 महीने में हुए 72 एनकाऊंटर के बाद नक्सलियों की पीएलजीए कंपनी की भी कमर टूटती दिखाई दे रही है।