छत्तीसगढ़

तबादला आदेश हवा-हवाई — अधिकारी भी मौन, प्रबंधकों को किसका संरक्षण?

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सूरजपुर। जिले में धान खरीदी की अव्यवस्थाओं पर लगाम लगाने प्रशासन ने 22 नवंबर को सात सहायक समिति प्रबंधकों का स्थानांतरण आदेश जारी किया था। स्पष्ट निर्देश था कि 24 नवंबर तक सभी प्रबंधक नए केंद्र में अनिवार्य रूप से जॉइन करें।
लेकिन आदेश को जारी हुए कई दिन बीत जाने के बाद भी एक भी प्रबंधक ने कार्यभार ग्रहण नहीं किया।

इस पर उप आयुक्त सहकारिता द्वारा 26 नवंबर को कड़ा नोटिस जारी कर तत्काल जॉइनिंग सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया था।
फिर भी आज तक आदेश का पालन नहीं हुआ है।


अधिकारी का गोलमोल जवाब — सवालों से बचते नज़र आए

इस मामले पर जब उप आयुक्त सहकारिता एवं उप पंजीयक से जुड़े अधिकारी से बात की गई कि—

आपके ही आदेश का पालन क्यों नहीं हो रहा?

नोटिस के बाद भी प्रबंधकों ने जॉइनिंग क्यों नहीं की?

क्या दोबारा नोटिस देना ही आपका “संज्ञान” है?

इन सवालों पर अधिकारी साफ़ जवाब देने से बचते दिखे।
उन्होंने केवल इतना कहा कि “फिर से संज्ञान ले रहे हैं,” लेकिन यह नहीं बताया कि पालन न करने वालों पर कार्रवाई कब होगी और कैसे होगी।

पत्र जारी करना एक बात है, लेकिन
जब आदेशों का पालन ही नहीं हो रहा, तो संज्ञान लेने का क्या अर्थ रह जाता है?

किसका है संरक्षण? प्रबंधकों के हौसले क्यों इतने बुलंद

जिले में यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि—

आखिर किन का संरक्षण है कि प्रबंधक खुलेआम आदेश की अनदेखी कर रहे हैं?

अगर अधिकारी का आदेश ही बेअसर है, तो धान खरीदी व्यवस्था कैसे सुधरेगी?

जिन कर्मचारियों पर केंद्र की जिम्मेदारी है, वही मनमानी पर उतर आए हैं तो किसान किससे उम्मीद रखें?

प्रबंधक अधिकारी के अधीनस्थ कर्मचारी हैं।
अगर वे आदेश मानने को तैयार नहीं, और अधिकारी उन पर कार्रवाई करने से हिचक रहे हैं,
तो इससे स्पष्ट है कि सिस्टम में कहीं न कहीं गंभीर ढिलाई और संरक्षण की गंध है।

किसानों में बढ़ी चिंता — खरीदी व्यवस्था और बिगड़ने का डर

किसानों ने साफ कहा कि प्रबंधकों की मनमानी से—

केंद्रों पर भीड़ बढ़ रही है,

टोकन वितरण प्रभावित हो रहा है,

वजन और भुगतान की प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े हो सकते हैं।

यानी आदेश पालन न होने का सीधा असर धान खरीदी की पारदर्शिता पर पड़ रहा है।

अब निगाहें प्रशासनिक कार्रवाई पर

स्थानीय किसानों और जागरूक लोगों का कहना है—

“अगर अधिकारी ही अपने आदेश करवाने में सक्षम नहीं हैं,
तो ऐसे कर्मचारियों पर कौन-सी सख्ती लागू होगी?”

अब यह देखना है कि प्रशासन केवल कागज़ी नोटिस जारी करेगा
या वास्तविक कार्रवाई कर खरीदी व्यवस्था को पटरी पर लाएगा।

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