अर्धसैनिक एनपीएस, यूपीएस से हताश अब सुप्रीम कोर्ट पर आश
नई दिल्ली । माननीय प्रधानमंत्री जी की अध्यक्षता में जेसीएम के साथ हुई बैठक उपरांत यूनिफाइड पैंशन योजना (यूपीएस) के लिए बुलाई गई प्रैस कॉंफ्रेंस में माननीय केंद्रीय मंत्री श्री अश्वनी वैष्णव द्वारा 11 लाख अर्धसैनिक बलों के जवानों का कहीं कोई जिक्र नहीं किया यानि जवानों के लिए संशय की स्थिति बनी हुई है।
अलॉइंस आफ ऑल एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेस वेलफेयर एसोसिएशन महासचिव रणबीर सिंह ने प्रैस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि जहाँ तक एनपीएस हो या उल्टी पुल्टी स्कीम यूपीएस अर्धसैनिक बलों को चाहिए सिर्फ ओपीएस। माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा 11 जनवरी, 2023 को पैरामिलिट्री पुरानी पैंशन बहाली ऐतिहासिक जजमेंट सुनाते हुए कहा कि केंद्रीय सुरक्षा बलों को भी सेना की तर्ज पर पुरानी पैंशन बहाली के आदेश जारी किए। अर्धसैनिक बलों को फर्स्ट लाइन डिफेंस मानते हुए भारतीय संघ के शस्त्र बल माना। नियम कायदे कानून सब सेना की तरह और पैंशन सिविलियन की तरह। वाह री राष्ट्रवाद का दम भरने वाली सरकार दिल्ली उच्च न्यायालय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई और मामले को लम्बा लटका दिया ऐसा लगता है। अब सवाल है कि बिना पैंशन बुढापा कैसे कटेगा यह सवाल मुंह बाए खड़ा है 11 लाख पैरामिलिट्री जवानों के सामने जिनके बीच आई दिवाली सरहदों पर माननीय प्रधानमंत्री जी जवानों के बीच सेलिब्रिेट करते हैं।
पूर्व एडीजी सीआरपीएफ श्री एचआर सिंह का कहना है कि अब निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर लगी हालांकि माननीय प्रधानमंत्री जी बडे़ दिल वाले हैं किसान बिल वापसी फिर एनपीएस की जगह यूपीएस इसके उदाहरण जबकि सरकार पिछले 20 साल से ढिंढोरा पीटती रही साथ ही एनपीएस की खुबियां गिनाती रही। अब वो दिन दूर नहीं जब साउथ ब्लॉक से माननीय प्रधानमंत्री जी का बुलावा आ जाए। पूर्व एडीजी ने साफ किया कि जवानों को सिर्फ ओपीएस चाहिए। जब ढाई दिन के सांसद को आजीवन फुल पैंशन तो फिर जो राष्ट्रीय झंडे की रक्षा में ताउम्र सरहदों पर पूरा जीवन गुजार दे पहला हक उस अर्धसैनिक बलों के जवानों का जो अपने परिवार की परवाह किये बैगेर सर्वोच्च बलिदान दे राष्ट्रीय झंडे में लिपट आखिरी सफर तय करता है।
पिछले 30 सालों में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को विभिन्न नामों से पुकारा गया कभी सीपीएमएफ कभी पैरामिलिट्री कभी सीएपीएफ कभी अर्धसैनिक ऐसा ही जवानों की वर्दी के रंगों में भी बदलाव देखने को मिलते रहे हैं कभी खाकी कभी चितकबरी कभी कॉम्बेट। हाँ वेलफेयर के नाम ऐसा कुछ खास देखने को नहीं मिला उल्टा शहादत में जरूर बढोत्तरी देखने को मिली। प्रमोशन, पोस्टींग, पैंशन व अन्य सुविधाओं के लिए जवान कोर्ट कचहरी के चक्कर लगा रहे हैं लगता है कि कोर्ट अधिन पुलिस फोर्स बन गई है।
महासचिव के अनुसार सरकार पिछले 20 सालों से ढिंढोरा पीटती रही कि एनपीएस बहुत अच्छी पैंशन योजना है चलिए देर आए दुरूस्त आए लेकिन इस में भी खामियां हैं जैसे कि हर महीने 10 प्रसेंट कॉन्टरीब्यूसन देना जैसा कि एनपीएस योजना में भी प्रावधान था। दुसरा जहाँ तक केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवान 20 साल में वॉलंटियर पैंशन चले जाते थे अब पच्चीस साल इंतजार करना पड़ेगा। तीसरी खामी पहले पैंशन जाते वक़्त आखिरी महिने के वेतन का आधा यानि 50 प्रसेंट पैंशन मिलती थी अब अंतिम 12 महिने में प्राप्त औसत मूल वेतन का 50 प्रतिशत पैंशन मिलेगी जब कि जनवरी व जुलाई माह में मिलने वाले डीए को मिलाकर वेतन कहीं कम है, अंतिम माह में मिलने वाले वेतन की तुलना अगर करें। चौथा सवाल पैंशन जाते वक़्त 300 दिनों की छुट्टियों का नकद भुगतान की जानकारी साझा नहीं की गई ओर नाही जीपीएफ का जिक्र किया गया
महासचिव रणबीर ने माननीय केंद्रीय मंत्री श्री अश्वनी वैष्णव जी द्वारा प्रैस कॉंफ्रेंस के दौरान यह जोर दे कर कहा कि राज्यों की 100 से ज्यादा विभिन्न वेलफेयर एसोसिएशन से बातचीत की व सुझाव मांगे गए लेकिन दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि कॉनफैडरेसन आफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेस वेलफेयर एसोसिएशन, अलॉइंस आफ ऑल एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेस वेलफेयर एसोसिएशन प्रतिनिधियों से कोई संपर्क नहीं साधा गया ओर नाही सुझाव मांगा गया जबकि उपरोक्त एसोसिएशन पिछले 9 सालों से पैंशन बहाली व अन्य कल्याण संबंधित मुद्दों के लेकर सड़क से संसद तक संघर्ष कर सरकार तक मुद्दे पहुंचाने का लगातार प्रयास करते रहे हैं। अंतिम महत्वपूर्ण सवाल क्या जेसीएम मेम्बर्स द्वारा माननीय प्रधानमंत्री जी से 8वें वेतन आयोग गठित करने व 18 महिने के बकाया महंगाई भत्ता एरियर जारी करने हेतु बातचीत हूई अगर हाँ तो जेसीएम बातचीत ब्यौरा सार्वजनिक करें।
रणबीर सिंह
महासचिव