चार साल बाद भी नहीं मिली गौशाला निर्माण की राशि, सुंदरगढ़ के लाभार्थी आज भी इंतजार में

सुंदरगढ़, ओडिशा।
सुंदरगढ़ जिला के नुआगाँव प्रखंड अंतर्गत बारीलेप्टा पंचायत के कई ग्रामीण लाभार्थी बीते चार वर्षों से सरकारी सहायता राशि की बाट जोह रहे हैं। बारीलेप्टा ग्राम के जगदा टोली निवासी महेन्द्र बडाईक और पातरापाली ग्राम के सुरेन्द्र माहतो, उदयनाथ माहतो तथा प्रफुल्ल कुमार माहतो ने सरकार की ओर से मिलने वाली सहायता के तहत अपने निजी परिसरों में गौशाला का निर्माण किया था। निर्माण कार्य पूर्ण हुए चार वर्ष हो चुके हैं, लेकिन अब तक इन्हें संबंधित योजना की राशि नहीं मिल सकी है।
शिकायत के बाद भी नहीं मिला समाधान
इनमें से दो लाभार्थी – उदयनाथ माहतो और प्रफुल्ल कुमार माहतो – ने इस संबंध में जिला मजिस्ट्रेट, सुंदरगढ़ के समक्ष लिखित शिकायत भी दर्ज करवाई थी। हालांकि अधिकारियों की ओर से केवल मौखिक आश्वासन ही मिला, और अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। पीड़ितों का कहना है कि उन्हें गौशाला निर्माण पर निजी धन खर्च करना पड़ा, लेकिन सरकारी सहायता अब तक सिर्फ कागज़ों तक ही सीमित रही।
जिलेभर में कई और लाभार्थी भी प्रभावित
स्थानीय लोगों की मानें तो ये चार नाम केवल प्रतीकात्मक हैं। जिलेभर में ऐसे दर्जनों लाभार्थी हैं जिन्होंने योजना पर भरोसा कर गौशाला का निर्माण तो कर लिया, लेकिन उन्हें वर्षों बाद भी सरकारी राशि नहीं मिल सकी। कुछ लोगों ने शिकायतें दर्ज करवाईं, तो कई अब भी अनभिज्ञ हैं कि उन्हें न्याय के लिए किस दरवाज़े पर दस्तक देनी चाहिए। कुछ लोग तो इसे अपनी ‘किस्मत’ मानकर मौन साधे हुए हैं।
कहाँ गया इनका हक़? उठने लगे सवाल
अब सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि इन लोगों की सहायता राशि आखिर गई कहाँ? क्या यह प्रशासनिक लापरवाही है या फिर इसके पीछे कोई गहरी अनियमितता छिपी है? पीड़ितों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मांग है कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए ताकि दोषियों की पहचान हो सके और वंचित लाभार्थियों को उनका हक़ मिल सके।
सरकारी योजनाएं जब भरोसा तोड़ती हैं…
गौशाला योजना जैसी पहल ग्रामीण आजीविका और पशुपालन के विकास के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है, लेकिन जब लाभार्थी वर्षों बाद भी उसका लाभ नहीं पा सकें, तो यह योजना की क्रियान्वयन प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
प्रशासन कब लेगा संज्ञान?
अब देखना यह है कि जिला प्रशासन कब इन शिकायतों पर गंभीरता से कार्रवाई करता है और इन ग्रामीणों को न्याय दिलाता है। वरना सरकारी योजना का लाभ केवल फाइलों और आंकड़ों तक ही सीमित रह जाएगा।