
चावल बंटा, बाकी निगल गए! धरमजयगढ़ में राशन डीलर बना ‘नमक चोर
रायगढ़@दीपक शोभवानी : धरमजयगढ़ में राशन का खेल कुछ ऐसा चल रहा है जैसे इंसाफ अंधा ही नहीं, बहिरा भी हो गया हो! मिरीगुडा गांव के ब्रांजपारा में रहने वाले गरीब हितग्राहियों की रोज़ की कहानी अब एक घोटाले का दस्तावेज़ बनती जा रही है। नीचेपारा के संतोषी स्व सहायता समूह का संचालक ‘ईमानदारी का चावल’ तो दे देता है, लेकिन चना, शक्कर और नमक जैसे ज़रूरी सामान को ऐसे गायब कर देता है मानो सरकारी राशन नहीं, उसकी दादी की तिजोरी हो!
गांववालों का दर्द साफ है: अंगूठा लगवाओ, उम्मीद जगाओ… और बदले में नमक तक से हाथ धो बैठो! चावल दे दिया, यही बहुत है—बाकी सामान स्वाहा
अभी कुछ हफ्ते पहले ही इसी ब्लॉक में दो डीलरों पर घोटाले के केस दर्ज होकर जेल की हवा खिलाई गई थी। मगर लगता है धरमजयगढ़ में भ्रष्टाचार पर न कानून का खौफ है, न नैतिकता की लाज। घोटालेबाज डीलर अब राजनीति की सीढ़ी चढ़ते हैं—सरकार कोई भी हो, गमछा बस बदला जाता है।
ज्वलंत सवाल:
क्या गरीबों के हिस्से का नमक चुराने वालों को भी ‘राजनीतिक नमक’ बचा लेगा?
अब देखना है कि धरमजयगढ़ के अफसरों में कुछ नमक बाकी है या नहीं, जो इस ‘नमक चोर संचालक’ को पकड़कर सीधा जेल भेजें। जनता इंतजार में है… इस बार ‘नमक का बदला’ चाहिए।