
भूमाफिया ने न्यायालय के स्थगन आदेश के बावजूद जारी रखा अवैध निर्माण,,बुजुर्ग महिला पहुंची sp साहब के पास
रायगढ़ : अपनी निजी भूमि को स्थानीय भू माफिया और कथित कांग्रेसी नेता जितेंद्र सिंह से कब्जा मुक्त कराने के उद्देश्य से “बुजुर्ग महिला ने पुलिस अधीक्षक से फ़रियाद लगाई है। महिला का कहना है कि तहसील और सीटी कोतवाली थाने से उसे अपेक्षित सहायता नहीं मिली है अब आप ही मेरी जमीन पर मुझे कब्जा दिलाओ SP साहब।
फरियादी महिला का कहना है कि मेरी पुरखों की जमीन, मेरे खून-पसीने की कमाई और कोई सड़क छाप भूमाफिया उस पर अपना कब्जा करने में लगा है कहां तक उचित है !” अपने मामले में प्रशासनिक निष्क्रियता को लेकर फरियादी महिला गुस्सा है। लगभग 62 साल की अरुंधती देवी के बताए अनुसार, रायगढ़ शहर के गढ़ भीतर राजापारा न्यू मरीन डाइव मोहल्ले में अपनी नजूल शीट की जमीन है। जिसका समस्त शासकीय रिकार्ड उनके नाम पर है। उस पर कथित अवैध कब्जे के खिलाफ उसे अंततः मोर्चा खोलना पड़ रहा है। निशाने पर हैं भूमाफिया जितेंद्र सिंह,जो सेंट्रल स्कूल के पास, हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी का रहने वाला बताया जा रहा है। मामला इतना पेचीदा है कि मोहल्ले से लेकर SP ऑफिस तक हलचल मची हुई है!
क्या है पूरा मामला?
बात शुरू होती है नजूल शीट नंबर 56, प्लॉट नंबर 219 से, जो 175 वर्ग मीटर (1884 वर्ग फीट) की जमीन है। ये जमीन अरुंधती देवी और उनकी बड़ी बहन जैमन देवी के नाम राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज थी। जैमन देवी का 2018 में निधन हो गया, और तब से अरुंधती नानी अकेले इस जमीन की मालिक और रखवाली कर रही हैं। नानी ने बताया, “मैंने तो नजूल अधिकारी के पास अपनी बहन का नाम रिकॉर्ड से हटाने के लिए अर्जी भी डाल रखी है, जो अभी विचाराधीन है। लेकिन उससे पहले ही ये जितेंद्र नाम का भूमाफिया आ धमका!”
26 मार्च 2025 से ‘कब्जे का ड्रामा’
अरुंधती नानी के मुताबिक, 26 मार्च 2025 को जितेंद्र सिंह ने उनकी जमीन पर धावा बोला। बांस-बल्ली तोड़कर, नींव खोदकर, और दीवारें खड़ी करने का खेल शुरू कर दिया। अरुंधति देवी ने जब उसे टोका, तो जवाब मिला- “चुप रहो, ये अब यह जमीन हमारी है!” इस पर वह बोलीं, “मैंने मना किया, चिल्लाई, समझाया, पर वो कहां मानने वाला था? उल्टा तेजी से निर्माण शुरू कर दिया, जैसे कोई रेस जीतने की जल्दी हो!”
तहसीलदार न्यायालय का स्थगन आदेश भी बेअसर
अरुंधती नानी ने हार नहीं मानी। उन्होंने तहसीलदार नजूल, रायगढ़ के पास धारा 250 छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता के तहत जितेंद्र सिंह के खिलाफ शिकायत ठोक दी। नतीजा? 27 मार्च 2025 को तहसीलदार महोदय ने साफ-साफ आदेश दिया- ” अवैध निर्माण अविलंब बंद करो!” लेकिन भूमाफिया जितेंद्र सिंह ने इस फरमान को जूते की नोक पर रखा और जमीन पर अवैध कब्जे की नियत से निर्माण कार्य को जारी रखा।जिसे देख कर अरुंधति देवी का गुस्सा सातवें आसमान पर था। “कोर्ट का आदेश इस भूमाफिया के लिए जैसे मजाक बन गया हो? उसे लगने लगा कि ये तो सरासर गुंडागर्दी है!”
कोतवाली में नहीं मिली राहत, SP बने आखिरी सहारा
अरुंधति देवी ने न्यायालय की अवमानना को लेकर सिटी कोतवाली का दरवाजा खटखटाया, लेकिन वहां से उन्हें कोई खास मदद नहीं मिली। “मैं बूढ़ी औरत, दिनभर चक्कर काटती रही, पर सुनवाई नहीं हुई। आखिरकार हार कर मुझे मुझे SP साहब की शरण में आना पड़ा। बुजुर्ग अरुंधति देवी ने अपनी आंखों से बहते आंसुओं के बीच बताया, कि आज, 12 अप्रैल को अरुंधती देवी ने रायगढ़ पुलिस अधीक्षक के नाम पूरी घटना क्रम को लेकर एक लंबा-चौड़ा ज्ञापन सौंपा है। और उनके सामने अपील की है कि मुझ असहाय को भूमाफिया जितेंद्र सिंह के कृत्यों से मुक्ति दिलाएं। मेरे निजी स्वामित्व की भूमि पर उसके अवैध निर्माण को पुलिस और प्रशासन की मदद से रोका जाए। साथ ही जमीन माफिया जितेंद्र सिंह के बन चुके हिस्से को भी ढहाया जाए। इतना ही नहीं उसे कोर्ट की अवमानना करने के जुर्म में सिविल जेल भेजा जाए। ताकि समाज में नासूर बन चुके उस जैसे दूसरे भू माफियाओं के सामने कोर्ट के आदेश की अवमानना करने तथा किसी निरीह की भूमि पर कब्जा करने के दुष्परिणाम का संदेश मिल जाए।
बुजुर्ग महिला की पुकार: “अब इंसाफ चाहिए!”*
अरुंधती देवी का कहना है कि अगर निर्माण नहीं रुका, तो उन्हें कानूनी पचड़ों में उलझना पड़ेगा, और उनकी मेहनत की कमाई डूब जाएगी। “मैंने ये जमीन अपने बच्चों के लिए संजोई थी। अब कोई आए और छीन ले ये ठीक नहीं है? Sp साहब के माध्यम से मुझे न्याय नहीं मिला तो मैं आने वाले कुछ दिनों में कलेक्ट्रेट आफिस के सामने आमरण अनशन पर बैठूंगी। अपने बच्चों के हक की लड़ाई मै आखिरी सांस तक लड़ूंगी!” हालाकि उनकी आवाज में दर्द और हौसला दोनों बराबर मिश्रित थे।