छत्तीसगढ़

राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस पर जिला न्यायालय में किया कार्यक्रम का आयोजन

अधिनियम के माध्यम से पिछड़े वर्ग, आर्थिक रूप से कमजोर तथा विकलांग व्यक्तियों को मुफ्त कानूनी सहायता प्राप्त करने का अधिकार है: जिला न्यायाधीश श्री साहू

बलरामपुर । आम नागरिकों में जागरूकता लाने के उद्देश्य से 9 नवंबर को राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस मनाया जाता है और प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस के अवसर पर जिला न्यायालय परिसर रामानुजगंज में राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उक्त कार्यक्रम में अशोक कुमार साहू अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रामानुजगंज, डॉ० मनोज कुमार प्रजापति, प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, श्री लोकेश कुमार, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, समस्त लीगल एड डिफेंस कौंसिल अधिवक्तागण, शासकीय अभिभाषक जिला एवं सत्र न्यायालय, समस्त कर्मचारीगण एवं पीएलव्ही उपस्थित थे।

कार्यक्रम का उद्घाटन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के छाया चित्र पर  माल्यार्पण एवं द्वीप प्रज्वलन कर किया गया। अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री अशोक कुमार साहू ने उपस्थित श्रोतागणों को संबोधित करते हुये कहा कि राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस के इतिहास के बारे में जानने से पहले ये जानना आवश्यक है कि कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 क्या है, क्योंकि राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस कि शुरुआत के पीछे इस अधिनियम की महत्वपूर्ण भूमिका है। भारत के संविधान अनुच्छेद 39 ए और इसकी समिति द्वारा की गई सिफारिशों के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा कानून सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 को अधिनियमित किया गया था।

इस अधिनियम को 1994 के संशोधन अधिनियम के बाद 9 नवंबर 1995 में लागू किया गया। इसके बाद से मुख्य अधिनियम के लिए कई संशोधन पेश किए। इस अधिनियम के माध्यम से पिछड़े हुए वर्ग, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, विकलांग व्यक्तियों को मुफ्त कानूनी सहायता प्राप्त करने का अधिकार दिया गया है। अधिनियम के कारण किसी भी विकलांग या आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति को न्याय से वंचित नहीं रखा जा सकता है। न्याय प्राप्त करने का जितना  अधिकार एक अमीर व्यक्ति या किसी समान्य वर्ग के व्यक्ति को है उतना ही अधिकार एक आम व्यक्ति को है। न्याय प्राप्त करने के लिए किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए। सभी को समान अवसर दिया जाना इस अधिनियम के अंतर्गत शामिल किया गया है।

प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश डॉ० मनोज कुमार प्रजापति ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1995 में विधिक सेवा दिवस की स्थापना की गई, तब से यह हर साल 9 नवंबर को मनाया जाता है उस समय भारत में कानूनी सेवाएं प्रदान करने के लिए कोई व्यापक तंत्र नहीं था। गरीब और कमजोर वर्गों के लोग अक्सर कानूनी सहायता के लिए संघर्ष करते थे। इस दिवस की शुरुआत के बाद, भारत में कानूनी सेवाओं की पहुंच में काफी सुधार हुआ है। साथ ही राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण  की स्थापना की गई जो समाज के कमजोर वर्गों को कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए जिम्मेदार है।

इसके तहत राज्य और जिला स्तर पर विधिक सेवा प्राधिकरण और समितियां भी गठित की गई हैं। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों के लोगो के लिए निःशुल्क कानूनी सेवाएं प्रदान करना है। यह दिवस कमजोर वर्गों के लोगों को मुफ्त कानूनी सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ-साथ उन्हे उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने का प्रयास भी करता है।


सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री लोकेश कुमार ने कहा कि  09 नवम्बर 2024 को राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस की शुरूआत पहली बार 1995 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समाज के गरीब और कमजोर वर्गों को सहायता और समर्थन प्रदान करने के लिए की गयी थी। राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस का उद्देश्य कानूनी मामलो के बारे में आमजनों में जागरूकता फैलाना, जरूरतमंद लोगो तक सीधे पहुंचने के लिए कानूनी सहायता शिविरों का आयोजन करना,

समाज के कमजोर वर्गों को निःशुल्क कानूनी सहायता प्रदान करना, यह सुनिश्चित करना की अपराध पीड़ितों को उनका मुआवजा मिले, सुलह, मध्यस्थ्ता और न्यायिक निपटान जैसे वैकल्पिक विवाद समाधान की पेशकश, लोक अदालतों का आयोजन इत्यादि है। साथ ही उन्होंने जिले में वर्ष 2024 में विधिक सलाह एवं सहायता, विधिक शिविरों, लोक अदालत,  क्षतिपूर्ति इत्यादि से लाभांवित व्यक्तियों की जानकारी प्रदान की गयी।

चीफ लीगल एड डिफेंस कौंसिल  श्री संजय कुमार गुप्ता के द्वारा उपस्थित लोगों को लीगल एण्ड डिफेंस कौंसिल के माध्यम से किये जा रहे विधिक सहायता एवं सलाह की जानकारी प्रदान की गई।

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