इस्पात उत्कल सहित महत्वपूर्ण ट्रेनों के लेट लतीफी और अनियमितता से बढ़ी यात्रियों की मुश्किलें

एक सप्ताह से इस्पात एक्सप्रेस चल रही 4 से 5 घंटे लेट
बदले मार्ग से चल रही है उत्कल एक्सप्रेस
चक्रधरपुर चक्रधरपुर रेल मंडल में पिछले लगभग दो वर्षो से ट्रेनों की लेट लतीफी की शिकायत की जा रही है। ट्रेनों की लेट लतीफी से जूझ रहे चक्रधरपुर रेल मंडल में अब इस्पात एक्सप्रेस और उत्कल एक्सप्रेस के लेट और अनियमित रुप से चलने से यात्री काफी परेशान हैं। इस्पात एक्सप्रेस पिछले 28 नवंबर से लगभग 4 घंटे से पांच घंटे देर से चल रही है। वहीं प्रत्येक शनिवार और मंगलवार को एनआई कार्य के कारण सितंबर माह से प्रत्येक शनिवार और मंगलवार को कभी रद्द तो कभी राउरकेला और टाटानगर में शार्ट टर्मिनेट की जा रही है
जिससे चक्रधरपुर रेल मंडल के विभिन्न स्टेशनों से विभिन्न शहरों में यात्रा करने वाले यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हावड़ा काटांभाजी इस्पात एक्सप्रेस 28 नवंबर से कई घंटे देर से चल रही है। इस ट्रेन का चक्रधरपुर रेलवे स्टेशन में पहुंचने का निर्धारित समय 11.20 बजे है लेकिन 28 नवंबर से इस ट्रेन का परिचालन कई घंटे देर से हो रहा है। 5 दिसंबर को भी यह ट्रेन चक्रधरपुर लगभग 7 घंटे देर से पहुंची।
ट्रेनों की लेट लतीफी को लेकर कई संस्थाओं और जन प्रतिनिधियों ने उठाए सवाल
चक्रधरपुर रेल मंडल में ट्रेनों की लेट लतीफी को लेकर सांसद विधायक और यहां तक भाजपाईयों ने भी समय समय शिकायतें की है। रेल प्रशासन के द्वारा हमेशा विकास कार्य एवं नई परियोजनाओं को क्रियान्वयन के कारण ट्रेनें लेट होने की बात कह कर पल्ला झाड़ दिया जाता रहा है। चक्रधरपुर रेल मंडल से होकर चलने वाली लंबी दूरी तय करने महत्वपूर्ण ट्रेनें चक्रधरपुर मंडल प्रवेश करने बाद लेट हो रही है। अधिकांश ट्रेनों को चक्रधरपुर से टाटानगर पहुंचने में तीन से 5 घंटे का समय लग रहा है जिसको लेकर स्थानीय लोगों में नाराजगी है।
माल गाड़ियों के अधिक परिचालन से ट्रेनों के लेट लतीफी का आरोप
चक्रधरपुर रेल मंडल में क्षमता से अधिक माल गाड़ियों के परिचालन के कारण यात्री ट्रेनें प्रभावित होने की शिकायत स्थानीय लोगों की ओर से जा रही है। कई संस्थाओं की और से इस सबंध में कई शिकायत पत्र चक्र धरपुर के डीआरएम को सौंप गया है एवं ट्रेनों के समय से परिचालन की मांग की है। बतातें चले कि दक्षिण पूर्व रेलवे चक्रधरपुर रेल मंडल को खनिज पदार्थो से भरा सबसे ज्यादा राजस्व अदा करने वाला रेल मंडल है। अब यहां लोडिंग क्षमता बढ़ाने के लिए विभिन्न उपाय किए जा रहे है लेकिन यात्री ट्रेनों के समय से परिचालन के क्षेत्र में कोई साकारात्मक पहल नहीं की जा रही है।





