छत्तीसगढ़

मुख्यमंत्री ने विभिन्न विभागों के स्टॉल का किया अवलोकन

मुख्यमंत्री श्री साय ने बुनकर सौदन सिंह के प्रेमपूर्वक आग्रह पर चलाया चरखा

कुम्हारों की अद्वितीय कला, आदिवासियों समुदायों की सांस्कृतिक पहचान को सजीव करती झलकियां

बलरामपुर मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने तातापानी मुख्य स्थल प्रांगण में विभिन्न विभागों द्वारा लगाए गए स्टॉल का अवलोकन किया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने जिस चरखे को आत्मनिर्भरता, और स्वावलंबन का प्रतीक माना था, मुख्यमंत्री श्री साय ने बुनकर सौदन सिंह के प्रेमपूर्वक आग्रह पर साथ बैठ चरखा चलाया। शासन की कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से जरूरतमंदों का उत्थान कर इन सिद्धांतों को पूरा किया जा रहा है।


25 सालों से कुम्हार का काम कर जीवन यापन करने वाले शिवमंगल से स्टॉल में की मुलाकात

25 सालों से कुम्हार का काम कर जीवन यापन करने वाले शिवमंगल से भी मुख्यमंत्री श्री साय ने बड़ी ही आत्मीयता से मुलाकात की। राजपुर के आरा ग्राम के निवासी शिवमंगल का पूरा परिवार कुम्हार का काम करते हैं। वे बताते हैं कि शासन द्वारा विद्युत चाक प्राप्त होने से अपनी जीविका चलाने में मदद मिली। उन्होंने बताया कि इस काम से उन्हें अपने जीवन में काफी सम्मान भी मिला है।

शिवमंगल आगे बताते हैं कि इस काम से उन्हें सालाना 2-3 लाख की आय हो जाती है। पारंपरिक कला को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कुम्हारों द्वारा पारंपरिक माटी-चाक के माध्यम से मिट्टी के बर्तन बनाने की कला का जीवंत प्रदर्शनी लगाई गई है। इस प्रदर्शनी में कुम्हारों की अद्वितीय कला और उनके द्वारा निर्मित विभिन्न प्रकार के बर्तनों, जैसे कि मटके, कुल्हड़, और अन्य उपयोगी वस्तुओं को रखा गया है।

श्रृंगार सदन स्टॉल के माध्यम से लाइव बैंगल और चुड़ियां बनाने की विधि का प्रदर्शन किया गया। इसी तरह मिलेट कैफे के माध्यम से स्थानीय मिलेट की खेती और उनसे बने स्वादिष्ट भोज्य पदार्थों को प्रदर्शित किया गया है।

ट्राइबल फूड स्टॉल के माध्यम से आदिवासी बाहुल्य जिलों की परंपरा, उनके रहन-सहन और स्थानीय जीवन का प्रदर्शन, देवगुड़ी, पारंपरिक वाद्य यंत्रों, बांस से बनी कलाकृतियां, सहित आयोजन स्थल पर 28 विभागों द्वारा विभिन्न थीम पर स्टॉल लगाया गया।

स्टॉल के माध्यम से आजीविका गतिविधि मॉडल आवास शौचालय सहित, अमृत सरोवर, जैव विविधता संरक्षण, स्थानीय समुदायों की भागीदारी, देवगुड़ी एवं आदिवासी संस्कृति, जैविक खेती में उन्नत कृषि तकनीक का प्रयोग, फूलों के खेती का जीवंत प्रदर्शन एवं पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम, सौर सुजला, जल जीवन मिशन, एकल खिड़की प्रणाली आधार, लोक सेवा केंद्र, उद्योग में स्थानीय व्यक्तियों के रोजगार प्रोत्साहन एवं वित्तीय साक्षरता, गागर फीडर डेम मॉडल, यातायात जागरूकता, नालंदा परिसर मॉडल, आदि प्रदर्शनी का अवलोकन किया गया।

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