
बलरामपुर। आरक्षण को लेकर बलरामपुर जिले के राजपुर (ओबीसी) पिछड़ा वर्ग समुदाय ने गांधी चौक पर जोरदार धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने भाजपा सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए राज्यपाल के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपा। प्रदर्शन के दौरान जब कुछ लोग चक्काजाम करने जा रहे थे, तो पुलिस से झड़प हो गई, जिसके बाद पुलिस ने पांच लोगों को हिरासत में लिया। हालांकि, बाद में उन्हें थाने से छोड़ दिया गया।

धरना प्रदर्शन को देखते हुए पुलिस अधीक्षक वैभव बैंकर ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी और भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया।
ओबीसी समुदाय की मांगें और आरोप
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि भाजपा सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव में आरक्षण को समाप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। वर्तमान आरक्षण रोस्टर से यह स्पष्ट हो रहा है कि सरकार ओबीसी वर्ग को उनके हक से वंचित करने की नीति अपना रही है।
ओबीसी समुदाय ने आरोप लगाया कि सरकार के निर्देशों के कारण जिला निर्वाचन अधिकारियों ने अधिकांश जिला और जनपद पंचायतों में ओबीसी आरक्षण को समाप्त कर दिया है। प्रदर्शनकारियों के अनुसार, प्रदेश के 16 जिला पंचायतों और 85 जनपद पंचायतों में, जहां पहले 25% सीटें ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित थीं, अब अनुसूचित क्षेत्रों में ओबीसी आरक्षण लगभग समाप्त हो चुका है।
बलरामपुर जिले के राजपुर जनपद क्षेत्र में 80 से 100% ओबीसी आबादी होने के बावजूद वहां ओबीसी आरक्षण शून्य कर दिया गया है। राजपुर जनपद क्षेत्र की सभी 70 पंचायतों में ओबीसी को कोई स्थान नहीं दिया गया है। इसी तरह, कई मैदानी पंचायतों में 90-99% ओबीसी आबादी होने के बावजूद सरपंच पद सामान्य घोषित कर दिया गया है।
सरकार पर षड्यंत्र का आरोप
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने आरक्षण प्रक्रिया के नियमों में दुर्भावनापूर्ण संशोधन कर अनुसूचित जिलों और ब्लॉकों में जिला पंचायत सदस्य, जनपद सदस्य और पंच पदों से ओबीसी आरक्षण समाप्त कर दिया है। इससे विशेष रूप से बस्तर और सरगुजा संभाग के जिलों—अंबिकापुर, बलरामपुर, सूरजपुर, कोरिया, मनेंद्रगढ़, चिरमिरी, भरतपुर सोनहत, बस्तर, कांकेर, कोंडागांव, दंतेवाड़ा, नारायणपुर, सुकमा, बीजापुर, मानपुर मोहला, जशपुर, गेरोला पेंड्रा मरवाही और कोरबा में ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण खत्म हो गया है।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में बड़ा नुकसान
प्रदर्शनकारियों के अनुसार, त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2025 के लिए जिला पंचायत, जनपद पंचायत, सरपंच और पंच पदों पर आरक्षण में ओबीसी के अधिकारों में बड़ी कटौती की गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित छत्तीसगढ़ नवीन आरक्षण विधेयक को रोक रखा है, जिसमें अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए 32% और ओबीसी के लिए 14% से बढ़ाकर 27% आरक्षण का प्रावधान था। यह विधेयक 2 दिसंबर को पारित हुआ था, लेकिन भाजपा के षड्यंत्र के चलते आज तक राजभवन में लंबित है।
अन्य समुदायों का समर्थन
धरना प्रदर्शन में अन्य समाजों के लोगों ने भी पिछड़ा वर्ग समुदाय का समर्थन किया। प्रदर्शन स्थल पर बड़ी संख्या में ओबीसी समुदाय के लोग मौजूद थे।





