छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ साहित्य रत्न सम्मान से सम्मानित हुए -कवि शशिभूषण स्नेही

सँस्कार भारती रायपुर एवं लोकरंजनी लोककला मंच के तत्वावधान में 9 जून   को वृंदावन सभागार राजधानी रायपुर में आयोजित कवि सम्मान समारोह का आयोजन सम्पन्न हुआ जहाँ प्रदेश के 21 साहित्यकारों को सम्मानित किया जिसके अंतर्गत सारँगढ़-बिलाईगढ़ जिले के ग्राम – कैथा निवासी सुप्रसिद्ध गीतकार एवं हास्य-व्यंग्य के विख्यात संचालक कवि शशिभूषण स्नेही जी को सम्मानित किया गया उक्त कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति श्री सच्चिदानंद शुक्ला जी एवं अध्यक्षता डी.एस.पी.सुश्री लतीता मेहर जी ने किया

जिनकी गरिमामय उपस्थिति में उनके कर कमलों से सभी साहित्यकारों को सम्मानित किया गया कला एवं साहित्य जगत के अनेक मूर्धन्य सख्सियतों के अलावा शहर के अनेकों प्रबुद्ध जनों की उपस्थिति रही |शशिभूषण स्नेही जी अंचल के बेहद चर्चित मंचीय कवि के साथ-साथ मानवीय संवेदना,व्यंग्य आदि विषयों के सक्रिय रचनाकार हैं जो देश के विभिन्न राज्यों में सैकड़ों मंचों पर अपनी प्रस्तुति देते प्रतिभा का लोहा मनवा चुके हैं

इसके अलावा उनके साहित्यिक योगदान हेतु उन्हें पूर्व में भी भिन्न-भिन्न संस्थाओं के द्वारा 8 विशेष साहित्यिक सम्मानों से सम्मानित किया गया है  | समूचे प्रदेश भर के उनके प्रसंशक ,मित्र एवं बिलाईगढ़ परिक्षेत्र आम जन सभी बधाई देते हुए हर्ष व्यक्त कर उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दे रहे हैं|

कवि सम्मान क्रम में -पद्मश्री सुरेंद्र दुबे जी,श्री रामेश्वर वैष्णव जी,जनाब मीर अली मीर जी, डॉ. चितरंजन कर जी,श्री रामेश्वर शर्मा जी,श्री सुशील भोले जी,श्रीमती शकुन्तला तरार जी, डॉ. सीमा श्रीवास्तव जी,श्रीमती उर्मिला देवी उर्मि जी,श्री राजेश जैन राही जी,डॉ. देवधर महंत जी,डॉ.अनिल भतपहरी जी,श्री गोविन्द धनगर जी,श्री राजेश चौहान जी ,जनाब सुख़नवर हुसैन जी,

श्री लोकनाथ साहू ललकार जी,श्री शशिभूषण सनेही जी ,श्री मिनेश साहू जी,श्री इंद्रदेव यदु जी ,श्री विजय मिश्रा अमित जी,श्री महेंद्र कुमार पटेल जी को सम्मानित किया गया |

संस्कार भारती रायपुर के अध्यक्ष एवं लोकरंजनी के संचालक श्री पुरुषोत्तम चंद्राकर जी सम्मान समारोह के प्रमुख सूत्रधार थे जिन्होंने साहित्यकारों के सम्मान के संदर्भ में अपने विचार दिए कि साहित्यकार समाज के बेहद जिम्मेदार लोग होते हैं एवं सबको राह दिखाते हैं अतः हम ऐसे गुणीजनों को उनके साहित्यिक योगदानों के लिए सम्मानित कर रहे हैं|

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