मुख्यमंत्री के नाम को बदनाम करने की साजिश रच रहे आबकारी अधिकारी, अब कौन सूध लेगा ऐसे आपराधिक गिरोह की?
सुशासन की साय सरकार में भ्रस्टाचारियों पर खबर बनाना फिर पड़ा पत्रकार को भारी
रायपुर बलौदाबाजार – आज प्रदेश के कोने-कोने में पत्रकारों पर हमला किया जा रहा है, यह पत्रकारिता के क्षेत्र में बढ़ती चुनौतियों और सुरक्षा के मुद्दों को उजागर करता है। ऐसी घटनाएं अक्सर प्रेस की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर सवाल खड़े करती हैं। पत्रकारों पर हमले का मुख्य कारण अक्सर उनके द्वारा उजागर की गई सच्चाई या किसी विवादास्पद मुद्दे पर उनकी रिपोर्टिंग होती है। इस बार पत्रकार गोविंद रात्रे को शराब माफियाओं ने अपना शिकार बनाया, जाँच के नाम पर कार्यवाही में विलंब से दर्ज हुई FIR, आख़िर ज़िम्मेदार कौन
प्रदेश में बढ़ता अपराध यह बता रहा है कि समाज के सभी वर्गों को संगठित होकर अपराध को बढ़ाने में सहायक सभी तंत्र के ख़िलाफ़ अपनी आवाज बुलंद करने की आवश्यकता आन पड़ी है।
पीड़ित गोविंद रात्रे ने अपने आवेदन में बताया कि
ग्राम दतान (प) पोस्ट दतान थाना पलारी जिला बलौदाबाजार-भाटापारा छ०ग० के स्थायी निवासी हैं व दैनिक अखबार सृजन भूमि छत्तीसगढ़ के संपादक हैं।बलौदाबाजार जिले के आबकारी विभाग में पदस्थ अधिकारी के सरंक्षण में चल रहा अपराधी प्रवित्ती का व्यक्ति अक्षय गिरी ने उपस्थित आबकारी विभाग के अधिकारी जलेश सिंह व अन्य पत्रकार साथीगण के समक्ष धमकी दिया कि ऑफिस से बाहर निकलोगे तब देख लेंगे।
जब हम जा रहे थे तब रास्ते में शासकिय पालिटेक्नींग कालेज सकरी के सामने 8 से 9 बजे के बिच मेन रोड़ में दो अज्ञांत लडके हथियार ले कर खड़े थें जिन्होने लाठी, डण्डा, राड़, बेल्ट, से लगातार प्रहार करने लगा एवं रात्रे को टारगेट बना कर बुरी तरह से मारने लगे और जेब में रखे 32000 रुपये को शराब माफिया के डकैतों ने लुट लिया एवं मेरे साथ चल रहे अन्य प्रत्रकार पुष्पकांत मेजर, लकेश बघेल को भी बुरी तरह से मारे और किसी को बताने व पुलिस रिपोर्ट लिखाने पर जान से मारने की धमकी देने लगे।उनकी लगातार प्रहार से गोविंद बेहोश हो गया जिसको देखकर गुण्डे लोग मरा हुआ समझ कर भाग गये।
पत्रकार गोविंद रात्रे ने अपने शिकायत में यह भी बताया है कि आबकारी निरक्षक के संरक्षण में अक्षय गिरी स्वयं अपने गांव बनगबौद में खुले आम बड़ी मात्रा में कच्ची महुआ शराब का निर्माण करता है और बिक्रि करता है। उन्होंने पुलिस-प्रशासन से आग्रह किया है कि प्राण घातक हमला व लुटपाट करने वाले अक्षयगिरी व उनके अन्य गुण्डे तथा उनको ऐसा करने के लिए निर्देश व संरक्षण देने वाले अधीकारी जलेश सिंह के विरूद्ध अपराध पंजीबद्ध कर सख्त से सख्त कार्यवाही करें।
संगठन की माँग…
वहीं प्रेस एवं मीडिया वेलफेयर एसोसिएशन के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र जायसवाल ने मामले को लेकर बताया कि अगर अपराधियों की गिरफ्तारी व गुंडे पालने वाले आबकारी अधिकारियों पर अगर 7 दिवस के भीतर कार्यवाही नहीं होती है तो पत्रकार संगठन उग्र आंदोलन करने को विवश होगा, जिसकी पूर्ण जवाबदेही शासन-प्रशासन की होगी।
मुख्यमंत्री के नाम को बदनाम करने की साजिश रच रहे आबकारी अधिकारी…
चूँकि आबकारी विभाग चौबीस वर्ष छत्तीसगढ़ में पहली बार कोई मुख्यमंत्री आबकारी विभाग का जिम्मा अपने हाँथ में लिया है, बाउजूद अधिकारी अपने कुकर्मों से बाज नहीं आ रहे हैं, इसलिए चर्चाएँ आम है कि समूचे प्रदेश में ओवर रेटिंग शराब परोसा जा रहा है, और तो और कई जगहों पर मिलावटी शराब भी धड़ल्ले से बेची जा रही है। जिम्मा मुखिया ने तो ले लिया पर विभाग का नियंत्रण किसी के हाथ में नहीं दिख रहा है।
आबकारी विभाग बदनाम पहले से…
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में नकली होलोग्राम को लेकर आबकारी विभाग में हुए 2000 करोड़ रुपये से अधिक घोटाले को लेकर वर्तमान सरकार सजग है इसलिए शायद मुख्यमंत्री ने इस विभाग को किसी मंत्री को नहीं दिया अपने पास रखा है। उक्त घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का भी नाम सामने आ रहा है।
डुप्लीकेट होलोग्राम लगाकर बेची गई शराब…
ED की ओर से दर्ज कराई गई FIR की जांच ACB कर रही है। ACB से मिली जानकारी के अनुसार साल 2019 से 2022 तक सरकारी शराब दुकानों से अवैध शराब डुप्लीकेट होलोग्राम लगाकर बेची गई। इससे शासन को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हुआ है।
क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला…
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में ED जांच कर रही है। ED ने ACB में FIR दर्ज कराई है। दर्ज FIR में 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की बात कही गई है। ED ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी AP त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था। फिलहाल जाँच सीबीआई के हवाले कर दिया गया है।