छत्तीसगढ़

Amit Baghel: पुलिस रिमांड में होने के बावजूद मिली अनुमति, कड़ी सुरक्षा में माँ को दी अंतिम विदाई

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Highlights

  • जोहार पार्टी प्रदेश अध्यक्ष अमित बघेल की माता का निधन
  • पुलिस रिमांड में होने के बावजूद कोर्ट ने दी अंतिम यात्रा में शामिल होने की अनुमति
  • कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच पथरी गांव ले जाया गया
  • ग्रामीणों, समर्थकों और कार्यकर्ताओं की भारी भीड़
  • भावुक माहौल, कुछ समय की अनुमति के बाद वापस लौटाया गया

राजनीतिक हलचल के बीच अमित बघेल के परिवार में शोक

छत्तीसगढ़ में राजनीतिक गतिविधियों के बीच शुक्रवार को एक दुखद खबर सामने आई। जोहार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और छत्तीसगढ़ क्रांति सेना के संस्थापक अमित बघेल की माता का निधन हो गया। खबर फैलते ही समर्थकों और ग्रामीणों में शोक छा गया।


पुलिस रिमांड में थे अमित, कोर्ट से मिली विशेष अनुमति

घटना के समय अमित बघेल पुलिस रिमांड पर थे, जिसके कारण उनका अंतिम संस्कार में शामिल होना संभव नहीं था। लेकिन मानवीय आधार पर न्यायालय ने विशेष अनुमति जारी की, जिसके बाद शनिवार को उन्हें रायपुर से पथरी गांव ले जाया गया।

यह अनुमति केवल अंतिम विदाई के लिए सीमित समय के लिए दी गई, और पूरे दौरान पुलिस निगरानी में उनका आवागमन हुआ।


कड़ी सुरक्षा – DSP स्तर के अधिकारी रहे तैनात

अंतिम यात्रा के लिए प्रशासन ने पथरी गांव और श्मशान घाट के आसपास कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की।
DSP रैंक के अधिकारी पूरे समय सुरक्षा की कमान संभाले रहे।

अमित बघेल के पहुंचते ही ग्रामीणों और समर्थकों की भीड़ इकट्ठी हुई, लेकिन पुलिस ने शांतिपूर्वक व्यवस्था संभाली और पूरा प्रोटोकॉल सुनिश्चित किया।


भावुक माहौल – समर्थकों की बड़ी संख्या में मौजूदगी

अमित बघेल ने नम आंखों के साथ अपनी मां को अंतिम विदाई दी।
अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में ग्रामीण, समाजजन और क्रांति सेना के कार्यकर्ता शामिल हुए।

कई लोगों ने बताया कि यह समय अमित के लिए अत्यंत कठिन था—एक ओर मां का निधन, दूसरी ओर पुलिस रिमांड का दबाव।
ग्रामीणों और समर्थकों ने शांतिपूर्वक अंतिम यात्रा में भाग लेकर संवेदना व्यक्त की।


गिरफ्तारी के 24 घंटे बाद मिली अनुमति

अमित बघेल ने एक दिन पहले ही रायपुर के देवेंद्र नगर थाने में स्वयं को सरेंडर किया था।
कोर्ट ने उन्हें तीन दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा था।

इसी बीच उनकी माता के निधन की सूचना पर कोर्ट ने संवेदनशीलता दिखाते हुए अंतिम यात्रा में शामिल होने की अनुमति दी। ग्रामीणों ने इसे मानवीय और सकारात्मक निर्णय बताया।

 

 

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