छत्तीसगढ़

थाने में ब्लैकमेलिंग का खेल जोरों पर — कार्यवाही का डर दिखाकर पुलिसकर्मियों ने व्यापारी से वसूले 22 हजार, दूसरे ने खाया जहर

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ऑनलाइन सबूत के साथ व्यापारी ने एसएसपी से की शिकायत — जांच शुरू


बिलासपुर (छत्तीसगढ़)। विशेष रिपोर्ट
बिलासपुर, छत्तीसगढ़। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर ज़िले की सीपत थाना पुलिस पर अवैध वसूली के गंभीर आरोप लगे हैं। आरोप है कि थाना पुलिस ने एक एनटीपीसी कर्मचारी और एक व्यापारी से उनकी गाड़ी पकड़कर और कार्रवाई का डर दिखाकर अवैध वसूली की। पुलिस के लगातार दबाव और धमकी से परेशान होकर, एनटीपीसी कर्मचारी ने आत्महत्या का प्रयास किया और ज़हर खा लिया।

घटना का विवरण
उज्जवल नगर एनटीपीसी कॉलोनी निवासी धीर्मेंद्र मंज़ारे (35), जो एनटीपीसी के एचआर विभाग में कार्यरत हैं, रविवार को शराब की दुकान से लौट रहे थे। इसी दौरान सीपत थाने के पुलिसकर्मियों ने उन्हें पकड़ा और उनकी स्कूटी जमा कर दी। पुलिस ने धीर्मेंद्र मंज़ारे पर शराब पीकर गाड़ी चलाने का आरोप लगाते हुए कथित तौर पर 50 हज़ार रुपये की मांग की और रुपये न देने पर कड़ी कार्रवाई की धमकी दी।
पुलिस के इस मानसिक दबाव में आकर धीर्मेंद्र मंज़ारे ने रास्ते में कोई ज़हरीला पदार्थ खा लिया। उनकी पत्नी रामेश्वरी ने उन्हें तत्काल एनटीपीसी अस्पताल पहुंचाया, जहां से उन्हें अपोलो अस्पताल रेफर किया गया। पीड़ित की स्थिति गंभीर, पुलिस पर लगे आरोप



फिलहाल, धीरेंद्र मंज़ारे का इलाज अपोलो अस्पताल में जारी है, जहां उनकी स्थिति गंभीर बताई जा रही है। उन्होंने पुलिस पर धन की अवैध मांग और मानसिक प्रताड़ना का गंभीर आरोप लगाया है। इस पूरे मामले ने स्थानीय पुलिसिंग पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं और ज़िले में हड़कंप मच गया है। पुलिस प्रशासन की ओर से इस मामले में अब तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।

पत्नी ने लगाया आरोप…

वहीं दूसरी ओर
बिलासपुर जिले के सीपत थाना क्षेत्र से पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाने वाला चौंकाने वाला मामला सामने आया है। एक स्थानीय व्यापारी ने थाना प्रभारी और पुलिसकर्मियों पर “कार्रवाई का डर दिखाकर ब्लैकमेलिंग और अवैध वसूली” का गंभीर आरोप लगाया है। व्यापारी ने इस मामले में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह को लिखित शिकायत दी है और दोषी पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
क्या है पूरा मामला?

ग्राम सीपत निवासी अविनाश सिंह ठाकुर, जो नवाडीह चौक में किराना दुकान संचालित करते हैं, ने बताया कि 5 अक्टूबर 2025 (रविवार) को वे अपने साथी रवि कश्यप के साथ किसी व्यक्तिगत कार्य से सीपत थाने पहुंचे थे। वे अपनी बुलेट बाइक (क्रमांक CG 04 AX 3880) से थाना पहुंचे थे।

थाने पहुंचने पर, थाना प्रभारी गोपाल सतपथी और एक आरक्षक उनके पास आए और कथित रूप से धारा 185 (नशे में वाहन चलाने) की कार्रवाई की धमकी देते हुए 50 हजार रुपए की मांग की। व्यापारी ने बताया कि पुलिस कार्रवाई के डर से उन्होंने 22 हजार रुपए का भुगतान थाना परिसर में ही मौजूद थाने के प्राइवेट कंप्यूटर ऑपरेटर राजेश्वर कश्यप के बैंक खाते में ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिया।
इस भुगतान का बैंक ट्रांजैक्शन सबूत (ऑनलाइन रसीद) व्यापारी ने अपनी शिकायत के साथ एसएसपी को सौंपा है।

फिर भी नहीं मिली राहत
अविनाश ठाकुर के मुताबिक, रुपए देने के बाद थाना प्रभारी ने बताया कि उनके खिलाफ धारा 185 के तहत चालान किया गया है, जबकि उनके साथी रवि कश्यप के खिलाफ धारा 36(च) की कार्रवाई की गई।
लेकिन, मामला यहीं खत्म नहीं हुआ। व्यापारी ने बताया कि उसी दिन रात करीब 10 बजे, सीपत के सुमित मेडिकल स्टोर के पास पुलिस ने उनकी बाइक को दोबारा जब्त कर लिया और थाने ले जाकर मोटर व्हीकल एक्ट की कार्रवाई बताई।

व्यापारी ने अपने आवेदन में यह भी लिखा है कि पुलिसकर्मियों ने उनके साथ झूठे आरोप लगाकर दबाव बनाया और धन उगाही की। उनका आरोप है कि यह सब थाना प्रभारी गोपाल सतपथी और एएसआई सहेत्तर कुर्रे की मिलीभगत से किया गया।

व्यापारी की गुहार
अविनाश सिंह ठाकुर ने एसएसपी से मांग की है कि पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषी पुलिसकर्मियों पर भ्रष्टाचार व ब्लैकमेलिंग के तहत कड़ी कार्रवाई की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कार्रवाई नहीं हुई, तो वे मामले को उच्चाधिकारियों और मानवाधिकार आयोग तक ले जाएंगे।

एसएसपी बोले — “जांच जारी है, दोषी नहीं बचेंगे”
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह ने इस प्रकरण की पुष्टि करते हुए बताया —“सीपत निवासी व्यापारी अविनाश ठाकुर से शिकायत प्राप्त हुई है। आवेदन के साथ ऑनलाइन भुगतान के ठोस सबूत संलग्न हैं। मामले की जांच प्रारंभ कर दी गई है, और दोषी पाए जाने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी departmental कार्रवाई की जाएगी।”

जनता में चर्चा
सीपत थाना क्षेत्र में यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर व्यापारी के आरोप सही साबित होते हैं, तो यह आम लोगों में पुलिस पर से भरोसा डगमगा सकता है। लोग अब एसएसपी की कार्रवाई पर निगाहें गड़ाए बैठे हैं।

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