छत्तीसगढ़

युक्तिकरण नीति से पहुँचेगी दूरस्थ वनांचलों तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा

Advertisement

ग्राम चुनचुना में शुरू होने जा रहा शिक्षा का नया अध्याय

बलरामपुर । शिक्षा एक मौलिक अधिकार है, जो समाज के हर तबके, हर क्षेत्र और हर बच्चे तक पहुँचना चाहिए, चाहे वह बच्चा नगर के किसी बड़े विद्यालय में पढ़ रहा हो या किसी सुदूर वनांचल के छोटे से गाँव में बैठा ज्ञान की ज्योति की ओर आशाभरी नजरों से देख रहा हो।

मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की दूरदर्शी सोच और संकल्प है कि प्रदेश का कोई भी बच्चा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित न रहे। इसी संकल्प को मूर्त रूप देने हेतु राज्य सरकार ने ‘युक्तिकरण नीति’ को लागू किया है, जिसका उद्देश्य शिक्षकों की उपयुक्त एवं प्रभावी पदस्थापना सुनिश्चित करते हुए विद्यालयों में शैक्षिक गुणवत्ता को सुदृढ़ बनाना है।

जिले में इस नीति के अंतर्गत शिक्षकों की काउंसलिंग प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी की जा चुकी है। अधिकांश शिक्षकों ने अपने-अपने कार्यस्थलों पर योगदान देना प्रारंभ कर दिया है। इस प्रक्रिया के दौरान जो सबसे उल्लेखनीय और प्रेरणादायक परिवर्तन सामने आया, वह है जिले के दूरस्थ एवं माओवाद प्रभावित ग्राम चुनचुना में शिक्षा का पुनर्जीवन। यह गाँव वर्षों तक माओवाद की छाया में बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहा। शिक्षा जैसी आधारभूत सुविधा की आवश्यकता थी।

प्राथमिक विद्यालय में लगभग 60 बच्चे नामांकित हैं, परंतु लंबे समय से केवल एकमात्र शिक्षक ही बच्चों की पढ़ाई का पूरा भार सँभाल रहे थे। एक ओर विद्यार्थियों की संख्या, दूसरी ओर शिक्षक की कमी, और तीसरी ओर विषम भौगोलिक तथा सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियाँ ये सब मिलकर चुनचुना को शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ा बनाते थे।लेकिन राज्य सरकार और जिला प्रशासन ने इस गाँव को अंधकार से उजाले की ओर ले जाने का संकल्प लिया। निरंतर प्रयासों के फलस्वरूप गाँव अब धीरे-धीरे विकास की मुख्यधारा से जुड़ने लगा है।

सड़कें बनी हैं, संचार बेहतर हुआ है और सबसे अहम बात की लोगों में भरोसा जगा है। युक्तिकरण के पश्चात श्रीमती प्रभा टोप्पो को ग्राम चुनचुना के प्राथमिक विद्यालय में प्रधान पाठिका के रूप में पदस्थ किया गया है। शिक्षा के प्रति समर्पण और ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य करने का अनुभव रखने वाली श्रीमती टोप्पो ने चुनचुना जैसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्र में सेवा देने का निर्णय लेकर न सिर्फ एक मिसाल पेश की, बल्कि अपनी उपस्थिति भी सुनिश्चित की है।

अब विद्यालय में दो शिक्षक कार्यरत हैं, जिससे बच्चों को अलग-अलग विषयों में नियमित शिक्षा मिल सकेगी। श्रीमती टोप्पो के आगमन से विद्यालय में अनुशासन, स्वच्छता और सांस्कृतिक गतिविधियों का भी संचार होगा। युक्तिकरण नीति केवल शिक्षकों की अदला-बदली भर नहीं है, बल्कि यह विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की दिशा में उठाया गया एक ठोस और संवेदनशील कदम है, जिसमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, नवाचार और समावेशी विकास की अपार संभावनाएं समाहित हैं

Advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button