
ग्रामवासियों ने अपने पूर्वजों की स्मृति में किया पूजा-अर्चना और सांस्कृतिक उत्सव का आयोजन
उदयपुर। ग्राम पंचायत रामनगर में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी 30 दिसंबर 2024 को पूर्वज सम्मान दिवस की 7वीं वर्षगांठ बड़ी धूमधाम से मनाई गई। यह परंपरा पिछले 6 वर्षों से ग्रामवासियों द्वारा अपने पूर्वजों की स्मृति में आयोजित की जाती है।
पूर्वजों की स्मृति में पूजा-अर्चना:
गांव में स्थापित देवताओं और पूर्वजों के नाम से बने छह चौक-चौराहों पर साल के खंभे गाड़कर पूजा-अर्चना की गई। मुख्य रूप से देव ढाढ़ू मांझी टेकाम, देव सुखीराम सरोटिया, देव नान मांझी टेकाम, देव दुखीराम सरोटिया, देव त्रिलोचन पोर्ते, और देव बंधु राम यादव की स्मृति में यह आयोजन किया गया।
सांस्कृतिक उत्सव और परंपरा:
ग्रामवासी पारंपरिक वेशभूषा में ढोल-नगाड़ों और बाजा-गाजा के साथ नाचते-गाते नजर आए। बैगा की अगुवाई में कार्यक्रम की शुरुआत गांव के देवालय से हुई और हर चौक-चौराहे पर पूजा-अर्चना के बाद समाप्त हुई।
ग्राम का ऐतिहासिक योगदान:
रामनगर, जो पहले घने जंगल के रूप में जाना जाता था, इन महापुरुषों की मेहनत और चरणधूलि से बसाया गया। इन्हीं की देन है कि आज यह गांव विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है।
सातवीं वर्षगांठ का आयोजन:
वर्ष 2018 में स्थापित इन महापुरुषों के नाम से चौक-चौराहों पर हर वर्ष पूजा और उत्सव का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष की 7वीं वर्षगांठ भी पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाई गई।
मुख्य उपस्थिति:
कार्यक्रम में ग्राम पंचायत के सहित गांव के बैगा श्यामलाल दिलीप सिंह, सुमिरन सिंह, ललिता सिंह टेकाम सरपंच, सरपंच प्रतिनिधि रोहित सिंह टेकाम, मांझीराम , अमर सिंह, रमजीत टेकाम, धर्मपाल, देवतराम,अवधेश, अर्जुन सिंह, देवनंद सिंह अकत सिंह, फेकू राम, सुखनंदन असंत लाल, चरण सिंह, कृष्णा टेकाम,प्रीतम, सुखसाय, बुधलाल, महेंद्र, रविचंद, मनुक सिंह, अमरेंद्र, शिवभजन, लगन साय, पन्नेश्वर, देशू, बीरबल, बलि राम, जयपाल, दशरथ,दीपक, हरि, राजेंद्र, रविन्द्र, गोविंद, नार सिंह, अनुक सिंह, सोनू,मुनेश्वर, दया राम, संगल राम, रनसाय , अकील सिंह, बिरन सिंह, रमेश,रामकुमार, राजकुमार, लकेश्वर, कुलमल, लब्दू राम, रामदेव, कलम, परस राम, उमेन, चन्दर राम, हरिचरण, अवधन, संदीप, मानसिंह, सिबल, कमल, जग सिंह, मोती राम, रन साय, सुखल, सिंग साय, देवार राम, राकेश, कपिल, भावेश, बैगा राम, सोनेलाल और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया। इनके अलावा, सैकड़ों की संख्या में महिला-पुरुष और बच्चे इस आयोजन में शामिल हुए।
इस आयोजन ने न केवल ग्रामवासियों को उनकी समृद्ध विरासत से जोड़ने का काम किया, बल्कि आपसी सौहार्द और एकजुटता को भी बढ़ावा दिया। यह उत्सव आने वाली पीढ़ियों को अपने पूर्वजों के प्रति आदर और संस्कृति के प्रति गर्व का संदेश देता है।