अच्छे स्वास्थ्य से बढ़ती है उत्पादकता और रचनात्मकता : राष्ट्रपति मुर्मू
रायपुर । छत्तीसगढ़ प्रवास के दूसरे दिन शनिवार को राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति स्वास्थ्य विज्ञान एवं आयुष विश्वविद्यालय के तृतीय दीक्षांत समारोह में शिरकत की। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि अच्छे स्वास्थ्य का नागरिकों की उत्पादकता और रचनात्मकता में योगदान महत्वपूर्ण होता है, और यह 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए आवश्यक है। उन्होंने विद्यार्थियों को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए स्वर्ण पदक और सुपर स्पेशलिस्ट उपाधि प्रदान की।
समारोह का मुख्य आकर्षण
समारोह में 6337 चिकित्सा स्नातकों को उपाधियाँ प्रदान की गईं, जिनमें 6 सुपरस्पेशलिस्ट, 606 स्नातकोत्तर और 5725 स्नातक चिकित्सक शामिल थे। साथ ही, उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 25 छात्रों को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया।
स्वास्थ्य कर्मियों की भूमिका पर जोर
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि स्वास्थ्य कर्मियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। उन्होंने विद्यार्थियों को ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य करने का सुझाव देते हुए कहा कि इससे उन्हें जनजाति समुदायों की स्वास्थ्य समस्याओं को समझने में सहायता मिलेगी। उन्होंने बताया कि भारत सरकार सिकल सेल एनीमिया, मलेरिया, और टीबी जैसी बीमारियों के उन्मूलन के लिए प्रतिबद्ध है और स्वास्थ्य कर्मी इस दिशा में अहम योगदान दे सकते हैं।
आयुष शिक्षा की सराहना
राष्ट्रपति ने कहा कि विश्वविद्यालय आधुनिक चिकित्सा के साथ-साथ आयुष (आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी) शिक्षा में भी योगदान दे रहा है। यह छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएँ बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की अधिकांश जनता ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है और इस कारण स्वास्थ्य सुविधा पहुँचाना चुनौतीपूर्ण कार्य है।
राज्यपाल और मुख्यमंत्री का संदेश
राज्यपाल रमेन डेका ने छात्रों की मेहनत और उनके चिकित्सा क्षेत्र में योगदान को सराहा। उन्होंने कहा कि चिकित्सा का क्षेत्र न केवल ज्ञान और कौशल का प्रतीक है, बल्कि इसमें सेवा का भाव भी निहित है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भी चिकित्सा शिक्षा की बढ़ती भूमिका पर चर्चा की और स्नातकों को अपने दायित्वों को सेवा भावना के साथ निभाने की प्रेरणा दी।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों की प्रासंगिकता
मुख्यमंत्री साय ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सिद्धांतों का उल्लेख करते हुए कहा कि इस विश्वविद्यालय का नामकरण उनके नाम पर होना समाज के हर वर्ग तक सेवा पहुँचाने की प्रेरणा देता है।
इस दीक्षांत समारोह ने प्रदेश में स्वास्थ्य शिक्षा के बढ़ते प्रभाव को रेखांकित किया और राष्ट्रपति के संदेश से चिकित्सा क्षेत्र में जुड़े नए स्नातकों के लिए भविष्य की दिशा स्पष्ट हुई।