छत्तीसगढ़

क्रेशर संचालकों के सामने अफसर नतमस्तक, धूल के गुबार से ग्रामीण परेशान

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cgअभिषेक सोनी

बलरामपुर/अंबिकापुर। बलरामपुर व सरगुजा जिले के इलाके में संचालित क्रेशर खदानों में खपने वाले पत्थर अवैध तरीके से वन एवं राजस्व भूमि से निकाले जा रहे हैं. कभी ड्रिल मशीन के जरिए तो कभी ब्लॉस्ट करके पत्थरों को जमीन से निकाला जाता है. बड़े पैमाने पर चल रहे कारोबार पर प्रशासन या वन विभाग का ध्यान नहीं है, यदि है भी तो कार्यवाई के नाम पर मजदूरों पर मामला दर्ज कर लिया जाता है. खदानों से उड़ने वाली धूल से इलाके का पर्यावरण संतुलित बिगड़ता जा रहा हैं लेकिन सम्बधित महकमा भी इस ओर से बिल्कुल बेपरवाह हैं. इसका खामियां ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा हैं.

विकासखण्ड के धौरपुर, कोटागहना, बैढी एवं राजपुर क्षेत्र की शासकीय व वन भूमि पर दर्जनभर स्थानों से अवैध खनन कर पत्थरCG police, निकाले जा रहे हैं. इन पत्थरों को क्रेशर खदान में भेज दिया जाता हैं. अवैध खनन में इलाके के ग्रामीण महिला- पुरुष कार्यरत हैं जो कई बार असुरछित ब्लास्टिंग से घायल हो चुके हैं. खदान संचालित करने वाले लोग पत्थरों को ब्लास्ट के जरिए सुबह ही निकालते हैं ताकि अधिकारियों को इसकी भनक न लगे. राजपुर , कोटागहना, बैढी, भेस्की, धौरपुर, भिलाई, चंगोरी, डिगनगर , गागर नदी के आसपास संचालित क्रेशर प्लांट में वाहनों से सैकड़ो ट्रिप भेजे जा रहे हैं. इस गोरखधंधे की आज तक निष्पक्ष जांच नही होने से कारोबार बेखौफ चल रहा है.

अधिकारियों का मिल रहा हैं संरक्षण

ग्रामीणों के मुताबित क्रेशर संचालकों को वन एवं राजस्व विभाग का मौन संरक्षण प्राप्त है जिसके चलते वे मनमाने ढंग से पत्थरों का अवैध खनन कर रहे हैं. इतना ही नहीं क्रेशर संचालकों के इशारे पर ही अधिकारी मजदूरों पर अवैध खनन का मामला बनाकर खानापूर्ति भी कर लेते है. कई ऐसे भी ग्रामीण हैं जिन्हें हजार-दो हजार रुपए देकर उनकी जमीन पर उत्खनन कराया जा रहा है. इलाके में बड़े पैमाने पर चल रहे अवैध खनन से वन क्षेत्र का पर्यावरण भी प्रभावित होने लगा हैं. क्रशर प्लांट से दिनरात उड़ने वाली धूल व शोर से लोगो का स्वास्थ्य भी प्रभावित होने लगा हैं. ग्राम घोरगड़ी व भेस्की आसपास के पहाड़ी कोरवा अवैध ब्लास्टिंग होने के कारण अपना घर छोड़ कर भग रहे है .अवैध ब्लास्टिंग होने के कारण घरों में दरारें पड़ने लगी है. धूल से स्वास्थ्य खराब होने लगा है. ग्रामीणों ने यह भी बताया कि ठेकेदारों के द्वारा पहाड़ी कोरवा एवं आदिवासियों का जमीन पर कब्जा कर अवैध ब्लास्टिंग व क्रेशर संचालित है. दर्जनों पहाड़ी कोरवा गांव छोड़कर जंगल की ओर जीवन यापन कर रहे हैं.

अवैध क्रेशर गिट्टी झारखंड, बनारस, उड़ीसा भेजा जा रहा है

बलरामपुर व सरगुजा जिले में कई क्रेशर दस्तावजो में सील है, मगर फिर भी क्रेशर संचालकों के द्वारा क्रेशर का संचालन किया जा रहा हैं. अधिकारी- कर्मचारी मौके कभी पहुचते ही नही जिसका फायदा क्रेशर संचालकों को मिल रहा है. मामला यह भी प्रकाश में आ रही है कि कई क्रेशर संचालकों के द्वारा अन्य उद्योग बता कर क्रेशर में बिजली पावर कनेक्शन की सप्लाई ली गई है.

राजपुर क्षेत्र में स्वीकृत लीज 28 व सरगुजा जिले में 52 हैं

राजपुर क्षेत्र में स्वीकृत लीज 28 व सरगुजा जिले में 52 हैं मगर कई स्वीकृत लीज स्थल पे आज तक क्रेशर संचालकों ने खुदाई तक नही की है. मगर शासन से उन्हें पीट पास हमेशा जारी होते रहे है. कर्मचारी-अधिकारिओं की मिलीभगत से यह कार्य काफी दिनों से संचालित है. इसके साथ कई स्थानों में दूसरे के नाम से भी लीज संचालित है.

छोटा झाड़ के जंगल मे भी संचालित हो रहे है क्रेशर

कई क्रेशर ऐसे भी संचालित है जो छोटा झाड़ का जंगल को हल्का पटवारी व तहसीलदार को मिलाकर शासकीय भूमि को अपने नाम नामांतरण करा कर फर्जी तरीके से भूमि का डायवर्शन भी कराकर उस भूमि में क्रेशर संचालित है. आश्चर्य की बात यह भी है कि छोटा झाड़ का भूमि पर डायवर्शन कैसे हुआ आज क्रेशर संचालित हैं.

कई क्रेशर संचालकों के पास दस्तावेज तक नही

कई क्रेशर संचालको के पास आज तक जमीन की डायवर्शन ,पीटपास , लीज, पर्यावरण , मेडिसिन , ब्लास्टिंग भंडारण आदि दस्तावेज तक नही है मात्र कागजों में संचालित हो रहा है.

ब्लास्टिंग के लिए बारूद कहा से आता है

पत्थरों में यूज होने वाली ब्लास्टिंग के लिए बारूद कहा से आता हैं आज तक किसी को मालूम नही है. इसकी स्टाक रूम कहा है कोई पता नही है. अवैध बारूद से कभी भी बड़ी घटनाएं घट सकती है. क्षेत्र में बेख़ौफ़ ट्रैक्टर लगा कर ड्रिल महीन से सुरंग बना कर अवैध ब्लास्टिंग जोरो से संचालित है.

क्रेशर से उड़ने वाले धूल से ग्रामीण बीमार हो रहे है

राजपुर सहित कोटागहना, घोरगड़ी, डिगनगर, गांगर नदी के उपर, बघिमा, भिलाई, भेस्की, चंगोरी, धौरपुर आदि में दर्जनों क्रेशर संचालित है. ब्लास्टिंग पत्थर व क्रेशर से उड़ने वाले धूल से ग्रामीण परेशान है. आए दिन ग्रामीणों को स्वास्थ्य खराब हो रही है. आदिवासी ग्रामीणों के घर धूल के गुबारे में तब्दील हो जा रही हैं.

मामला प्रकाश में आया है पूरे क्रेशरों को माइनिंग विभाग वाले को बुलाकर जांच कराई जाएगी. जांच उपरांत ग़लत पाए जाने कर क्रेशर सील कर कार्रवाई की जाएगी.

एसडीएम राजीव जेम्स कुजुर, राजपुर.

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