सनातन धर्म में वट सावित्री पर्व को बहुत ही शुभ माना गया है। वेद पुराण के अनुसार ज्येष्ठ माह में पड़ने वाली अमावस्या महत्वपूर्ण है
सनातन धर्म में वट सावित्री पर्व को बहुत ही शुभ माना गया है। वेद पुराण के अनुसार ज्येष्ठ माह में पड़ने वाली अमावस्या महत्वपूर्ण है । इसलिए आज यानि ६ जून २०२४ गुरुवार को सुहागिन महिलाएं वट सावित्री का व्रत रखकर पूजा कर रही हैं।
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, वटवृक्ष के मूल में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु तथा अग्रभाग में शिव का वास माना गया है. वट वृक्ष यानी बरगद का पेड़ देव वृक्ष माना जाता है. देवी सावित्री भी इस वृक्ष में निवास करती हैं. मान्यताओं के अनुसार, वटवृक्ष के नीचे सावित्री ने अपने सतीत्व के बल पर यमराज से अपने मृत पति सत्यवान को जीवित प्राप्त की थी।
तब से ये व्रत ‘वट सावित्री’ के नाम से जाना जाता है. इसलिए सनातन संस्कृति में सावित्री का ऐतिहासिक चरित्र माना गया है।
आज के दिन सुहागिन महिलाएं सूर्योदय से पहले उठ कर स्नान आदि करने के बाद नया वस्त्र धारण कर बरगद पेड़ की पूजा कर जल चढ़ाती हैं तत्पश्चात् वट सावित्री व्रत कथा सुनकर वट वृक्ष के चारों ओर लाल धागा बांधकर वृक्ष की परिक्रमा करते समय पति की लम्बी उम्र की कामना करती हैं। आज ६ जून को देश के कई भागों में विशेषकर उत्तर भारत के बिहार, उड़ीसा, झारखंड, उत्तरप्रदेश में इस पर्व को मना रही हैं।